मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने निजी अस्पतालों और डॉक्टरों के लिए जारी किए सख्त निर्देश: मरीजों को दवा खरीदने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकेगा
स्वास्थ्य विभाग ने निजी अस्पतालों और चिकित्सकों के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) ने बुधवार को स्पष्ट किया कि डॉक्टर या अस्पताल प्रबंधन किसी भी मरीज को अपने मेडिकल स्टोर से दवा लेने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। यदि कोई अस्पताल या चिकित्सक ऐसा करता पाया गया, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
अधिकारियों ने बताया कि ऐसे उल्लंघन के मामले में संबंधित अस्पताल का पंजीकरण निरस्त किया जा सकता है और चिकित्सक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। यह कदम मरीजों के अधिकारों की रक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
सीएमओ ने निजी अस्पतालों और डॉक्टरों के लिए कुल 13 बिंदुओं पर निर्देश जारी किए हैं। इनमें मुख्य रूप से मरीजों के प्रति ईमानदार व्यवहार, चिकित्सा शुल्क और दवाओं की पारदर्शिता, आपातकालीन सेवाओं की उपलब्धता और अस्पताल में मरीजों के अधिकारों का सम्मान सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया है।
निर्देशों के अनुसार, अस्पताल और चिकित्सक मरीज को किसी भी तरह की अतिरिक्त दवाइयों या चिकित्सा सेवाओं के लिए मजबूर नहीं कर सकते। मरीज को अपनी सुविधा और पसंद के अनुसार दवा खरीदने का पूरा अधिकार होगा। इसके अलावा, अस्पताल में मरीज के लिए फीस की स्पष्ट जानकारी देना अनिवार्य होगा और किसी भी तरह का छुपा हुआ शुल्क वसूला नहीं जा सकेगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह पहल स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में पारदर्शिता और नैतिकता को बढ़ावा देगी। मरीजों को अब अस्पताल और डॉक्टर पर पूरी तरह भरोसा रखने का अधिकार मिलेगा और उन्हें अनावश्यक दबाव या आर्थिक बोझ से बचाया जा सकेगा।
स्थानीय अस्पताल प्रबंधन और चिकित्सकों ने इस दिशा-निर्देश का स्वागत किया है। उनका कहना है कि यह मरीजों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं दोनों के लिए फायदेमंद कदम है। इससे स्वास्थ्य सेवाओं में गुणवत्ता और भरोसे की भावना बढ़ेगी।
सीएमओ ने अस्पतालों और चिकित्सकों से अपील की है कि वे इन निर्देशों का पालन करें और मरीजों के अधिकारों की रक्षा करें। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवा केवल पेशेवर जिम्मेदारी नहीं, बल्कि सामाजिक दायित्व भी है। निर्देशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
कुल मिलाकर, बुधवार को जारी किए गए मुख्य चिकित्सा अधिकारी के निर्देश मरीजों के अधिकारों की रक्षा और स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। इससे न केवल मरीजों की सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में विश्वास और नैतिकता भी मजबूत होगी।

