राजकीय इंटर कॉलेजों में प्रधानाचार्य के 1000 पदों पर भर्ती का रास्ता साफ, कैबिनेट ने नियमावली संशोधन को दी मंजूरी

उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के राजकीय इंटर कॉलेजों में प्रधानाचार्य के रिक्त पदों को भरने की दिशा में एक बड़ा निर्णय लिया है। बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश शैक्षिक (सामान्य शिक्षा संवर्ग) सेवा नियमावली 2025 के पांचवें संशोधन को लागू करने की मंजूरी दे दी गई है। इस निर्णय से राज्यभर के राजकीय इंटर कॉलेजों में प्रधानाचार्य के करीब 1000 पदों को सीधी भर्ती और पदोन्नति दोनों माध्यमों से भरा जा सकेगा।
शिक्षा विभाग से जुड़े सूत्रों के अनुसार, लंबे समय से इंटर कॉलेजों में प्रधानाचार्य के पद खाली चल रहे थे, जिससे शैक्षणिक और प्रशासनिक व्यवस्थाएं प्रभावित हो रही थीं। कई कॉलेजों में वरिष्ठ प्रवक्ताओं को कार्यवाहक प्रधानाचार्य की जिम्मेदारी निभानी पड़ रही थी। लेकिन अब कैबिनेट द्वारा नियमावली संशोधन की मंजूरी के बाद इस व्यवस्था में सुधार की उम्मीद की जा रही है।
संशोधन के अनुसार, अब इन पदों को दो माध्यमों से भरा जाएगा –
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पदोन्नति के माध्यम से: सेवा में वरिष्ठता और पात्रता के आधार पर चयन।
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सीधी भर्ती के माध्यम से: उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) के माध्यम से प्रतियोगी परीक्षा या साक्षात्कार के आधार पर चयन।
शासन के इस कदम से न केवल योग्य शिक्षकों को पदोन्नति का अवसर मिलेगा, बल्कि प्रदेश के युवाओं के लिए भी शासकीय सेवाओं में करियर की संभावनाएं खुलेंगी। इस फैसले से शिक्षा व्यवस्था में नेतृत्व की कमी दूर होगी और शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार आएगा।
शिक्षामंत्री ने क्या कहा?
इस फैसले पर शिक्षा मंत्री ने प्रसन्नता जताते हुए कहा, “मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश सरकार शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। प्रधानाचार्य जैसे महत्वपूर्ण पदों की भर्ती से स्कूलों में अनुशासन, प्रशासनिक व्यवस्था और शैक्षणिक गुणवत्ता को मजबूती मिलेगी।”
शिक्षकों में उत्साह
यह निर्णय आते ही प्रदेश के शिक्षकों और शिक्षा संगठनों में उत्साह देखा जा रहा है। शिक्षकों का कहना है कि वर्षों से अटकी हुई पदोन्नतियां अब संभव हो पाएंगी और नई पीढ़ी के लिए शासकीय सेवा के द्वार खुलेंगे।
शासन की ओर से जल्द ही भर्ती प्रक्रिया की अधिसूचना जारी की जा सकती है। साथ ही रिक्त पदों की विस्तृत जानकारी और आवेदन प्रक्रिया को लेकर उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग दिशा-निर्देश जारी करेगा।
इस निर्णय को प्रदेश की शिक्षा प्रणाली के लिए एक सकारात्मक और सुधारात्मक कदम माना जा रहा है, जो भविष्य में छात्रों की शैक्षिक गुणवत्ता और स्कूलों के समुचित संचालन में अहम भूमिका निभाएगा।