लखनऊ में व्यापारी दंपति की आत्महत्या, सुसाइड नोट में पत्नी शुचिता का भावुक दर्द, मायके वालों पर भी उठाए सवाल

राजधानी लखनऊ के प्रतिष्ठित कपड़ा व्यापारी शोभित रस्तोगी और उनकी पत्नी शुचिता रस्तोगी की आत्महत्या ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया है। जहां शुरू में ऐसा माना जा रहा था कि यह कदम उन्होंने कर्ज और रिकवरी एजेंटों की प्रताड़ना से परेशान होकर उठाया, वहीं अब सामने आया है कि इस आत्मघाती कदम के पीछे कई गहरे पारिवारिक और मानसिक तनाव भी जिम्मेदार थे।
शुचिता ने सुसाइड नोट में बयां किया अपना दर्द
पुलिस को मौके से मिले सुसाइड नोट में शुचिता ने अपने जीवन में चल रहे आंतरिक संघर्ष और मानसिक पीड़ा का खुलासा किया है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि उन्होंने अपने मायके पक्ष को लेकर भी कई दर्दनाक बातें लिखीं, जो इशारा करती हैं कि उनकी तकलीफें सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि पारिवारिक स्तर पर भी बेहद गहरी थीं।
सूत्रों के अनुसार, शुचिता ने लिखा है कि उन्हें मायके वालों से अपेक्षित भावनात्मक समर्थन नहीं मिला, और वे खुद को अकेला व उपेक्षित महसूस कर रही थीं। उन्होंने यह भी जिक्र किया कि एक ओर जहां वे पति के साथ आर्थिक समस्याओं से जूझ रही थीं, वहीं दूसरी ओर मायके पक्ष की बेरुखी ने उन्हें अंदर से तोड़ दिया।
रिकवरी एजेंटों की भूमिका भी संदिग्ध
शोभित रस्तोगी पर बड़ी मात्रा में कर्ज था, जिसे चुकाने के लिए वह काफी समय से संघर्ष कर रहे थे। परिवार पर बैंक व प्राइवेट लोन एजेंसियों का भारी दबाव था। कहा जा रहा है कि रिकवरी एजेंटों की धमकियों और दबावपूर्ण व्यवहार ने भी दंपति को मानसिक रूप से कमजोर कर दिया था।
पुलिस कर रही है गहराई से जांच
पुलिस अब मामले की हर पहलू से जांच कर रही है — चाहे वो आर्थिक स्थिति, मानसिक दबाव, पारिवारिक रिश्ते हों या रिकवरी एजेंटों की भूमिका। शुचिता द्वारा लिखे गए सुसाइड नोट को महत्वपूर्ण साक्ष्य मानते हुए, पुलिस मायके पक्ष से भी पूछताछ करने की योजना बना रही है।
समाज के लिए एक चेतावनी
यह दुखद घटना एक बार फिर यह सवाल उठाती है कि आर्थिक तनाव और पारिवारिक उपेक्षा मिलकर किस कदर एक व्यक्ति को आत्मघात के कगार पर पहुंचा सकते हैं। यह एक चेतावनी है — न केवल कर्ज देने वाली एजेंसियों के लिए, बल्कि पारिवारिक रिश्तों की जिम्मेदारी निभाने वालों के लिए भी।
व्यापारी दंपति की यह आत्महत्या सिर्फ एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि समाज के लिए एक कठोर संदेश है — कि समय रहते भावनात्मक, सामाजिक और आर्थिक समर्थन न मिले तो एक खुशहाल दिखने वाला जीवन भी अंदर से पूरी तरह बिखर सकता है।