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 सेवायतों की दो टूक...बोले-ट्रस्ट स्वीकार नहीं, हम ठाकुरजी को मंदिर से लेकर चले जाएंगे

 सेवायतों की दो टूक...बोले-ट्रस्ट स्वीकार नहीं, हम ठाकुरजी को मंदिर से लेकर चले जाएंगे

मथुरा के वृंदावन में ठाकुर श्री बांके बिहारी मंदिर के प्रस्तावित ट्रस्ट का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। रविवार को प्रशासन की ओर से मंदिर के सेवायतों को मनाने का एक और प्रयास किया गया लेकिन वह सफल नहीं हो सका। सेवायतों ने कहा कि ट्रस्ट किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं है। अगर हालात ऐसे ही रहे तो हम ठाकुरजी के साथ यह मंदिर छोड़ देंगे। मंदिर, दुकान और मकान सरकार को सौंप देंगे। जिलाधिकारी चंद्र प्रकाश सिंह, एसएसपी श्लोक कुमार और मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्याम बहादुर सिंह ने मंदिर पहुंचकर सेवायतों के साथ बैठक की। उन्होंने आश्वासन दिया कि प्रस्तावित ट्रस्ट के गठन के बाद भी परंपरागत सेवा व्यवस्था और सेवायतों के अधिकारों से छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। डीएम ने कहा कि मंदिर की पुरानी परंपराएं यथावत रहेंगी। ट्रस्ट का उद्देश्य व्यवस्था में पारदर्शिता लाना है न कि किसी का अधिकार छीनना।

सेवायतों का कहना है कि ट्रस्ट की नियमावली में ऐसा कुछ नहीं लिखा है जिससे उनकी भूमिका स्पष्ट हो। उल्टा कहा गया है कि सारे अधिकार सरकार को मिलेंगे। बैठक में उपाध्यक्ष श्याम बहादुर सिंह ने ट्रस्ट डीड पढ़कर सुनाई और कहा कि सेवा व्यवस्था पहले की तरह चलती रहेगी। एसएसपी ने कहा कि सभी का उद्देश्य एक ही है, सभी को लाभ मिलना चाहिए, किसी को नुकसान नहीं होना चाहिए, लेकिन सेवादारों ने पदाधिकारियों की बातों को साफ तौर पर नकार दिया। सेवादार रजत गोस्वामी ने कहा कि सरकार ट्रस्ट के जरिए मंदिर पर सीधा नियंत्रण चाहती है, लेकिन वे इसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे। सेवादारों ने कहा- मंदिर हमारा है, बाहरी लोगों के हाथ में व्यवस्था क्यों आएगी? सेवादारों ने कहा कि यह मंदिर उनकी पारंपरिक आस्था और सदियों पुरानी सेवा से जुड़ा है। मंदिर प्रबंधन में बाहरी लोगों की नियुक्ति उन्हें मंजूर नहीं है।

विलास गोस्वामी ने कहा कि हमें कहा जा रहा है कि व्यवस्था में सुधार होगा। लेकिन हमारी व्यवस्था में क्या कमी है। कोई सुझाव हो तो दें, लेकिन मंदिर की बागडोर हमारे हाथ से लेना मंजूर नहीं है। ट्रस्ट की नियमावली को लेकर भी आपत्ति जताई गई। उनका कहना है कि प्रस्तावित ट्रस्ट में प्रशासनिक अधिकारियों की संख्या ज्यादा होगी और सेवादार अल्पमत में होंगे। इससे यह स्पष्ट होता है कि निर्णय लेने का अधिकार केवल सरकार के पास ही रहेगा। मथुरा के जिलाधिकारी सीपी सिंह ने कहा कि प्रस्तावित कॉरिडोर और ट्रस्ट के कारण किसी को कोई परेशानी नहीं होगी। सरकार और प्रशासन आश्वस्त करता है कि जिन लोगों को नुकसान होगा, उन्हें उचित मुआवजा दिया जाएगा। जिन लोगों की दुकानें जाएंगी, उन्हें नई दुकानें दी जाएंगी। सभी को यह समझना चाहिए कि सरकार किसी को नुकसान नहीं पहुंचाएगी। बल्कि व्यवस्था सुधारने का काम किया जा रहा है।

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