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राजस्व तंत्र में बड़ा सुधार: लेखपालों का तय होगा दिन और रोस्टर, गांव स्तर पर ही मिलेंगी सेवाएं

राजस्व तंत्र में बड़ा सुधार: लेखपालों का तय होगा दिन और रोस्टर, गांव स्तर पर ही मिलेंगी सेवाएं

उत्तर प्रदेश के राजस्व तंत्र को आधुनिक और जवाबदेह बनाने की दिशा में राजस्व परिषद ने बड़े बदलावों की शुरुआत कर दी है। अब प्रदेश के ग्रामीण नागरिकों को तहसीलों के चक्कर लगाने की आवश्यकता नहीं होगी, क्योंकि राजस्व संबंधी अधिकांश सेवाएं अब ग्राम स्तर पर ही उपलब्ध कराई जाएंगी।

इस पहल के तहत लेखपालों का दिन और रोस्टर तय किया जाएगा, ताकि वे सुनियोजित तरीके से हर गांव में नियमित रूप से उपस्थित रहकर जनता को जरूरी सेवाएं समय से उपलब्ध करा सकें।

राजस्व परिषद अध्यक्ष अनिल कुमार ने की घोषणा

राजस्व परिषद के अध्यक्ष अनिल कुमार ने इस बदलाव की जानकारी देते हुए कहा कि यह निर्णय प्रदेश के नागरिकों को तेजी, पारदर्शिता और सुलभता से राजस्व सेवाएं देने की मंशा से लिया गया है।

उन्होंने कहा, "अब प्रमाण पत्रों की संस्तुति, भू-अभिलेखों का अद्यतन, वरासत से संबंधित कार्य जैसे महत्वपूर्ण राजस्व काम गांव स्तर पर ही लेखपाल द्वारा पूरे किए जाएंगे। इससे न केवल काम समय पर होगा, बल्कि त्रुटिरहित भी रहेगा।"

क्या है नई व्यवस्था

  • प्रत्येक लेखपाल का कार्य दिवस और गांववार रोस्टर पहले से तय किया जाएगा।

  • लोग पहले से जान सकेंगे कि किस दिन उनके गांव में लेखपाल आएगा।

  • इससे सर्टिफिकेट की संस्तुति, खसरा-खतौनी अद्यतन, नामांतरण, वरासत आदि कार्य मौके पर पूरे होंगे।

  • यह प्रणाली डिजिटल लॉगबुक से जोड़ी जाएगी, जिससे कामकाज पर निगरानी संभव हो सके।

10 करोड़ से अधिक लोगों को होगा लाभ

राजस्व परिषद का दावा है कि इस नई व्यवस्था से प्रदेश के 10 करोड़ से अधिक ग्रामीण नागरिकों को सीधा लाभ मिलेगा। विशेष रूप से बुजुर्ग, महिलाएं, दिव्यांग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोग जिन्हें तहसीलों तक बार-बार आना मुश्किल होता था, उन्हें बड़ी राहत मिलेगी।

भ्रष्टाचार पर भी लगेगी लगाम

नए रोस्टर सिस्टम से लेखपालों की जिम्मेदारी स्थानीय स्तर पर तय और पारदर्शी हो जाएगी, जिससे दलालों की भूमिका और भ्रष्टाचार पर भी रोक लगाई जा सकेगी। लोग बिना बिचौलियों के सीधे लेखपाल से संपर्क कर सकेंगे।

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