कथावाचक के सिर मुंडवाने के मामले में बड़ा खुलासा, एक ही आधार नंबर पर दो नाम, पुलिस कर रही जांच

यूपी के इटावा जिले में कथावाचक का सिर मुंडवाने की घटना अब एक बड़े खुलासे के बाद चर्चा का केंद्र बन गई है। पुलिस जांच में सामने आया है कि कथावाचक के पास एक नहीं बल्कि दो आधार कार्ड हैं, जिनमें आधार नंबर एक ही है, फोटो भी एक ही व्यक्ति की है, लेकिन नाम अलग-अलग दर्ज हैं। इस रहस्यमयी मामले ने अब प्रशासन और पहचान पत्र प्रणाली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
पुलिस के अनुसार, कथावाचक के एक आधार कार्ड पर नाम "मुक्त सिंह" लिखा है, जबकि दूसरे पर नाम "मुकुट मणि अग्निहोत्री" है। हैरानी की बात यह है कि दोनों कार्ड में नंबर समान हैं और फोटो भी मुकुट मणि की ही है। यह मामला सामने आने के बाद पुलिस अब जांच में जुट गई है कि आखिर एक ही आधार नंबर पर दो अलग-अलग नामों के कार्ड कैसे जारी हुए।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि यह मामला पहचान की दोहरीता और दस्तावेजों में गड़बड़ी से जुड़ा हुआ हो सकता है, जिसमें आधार जैसी अहम सरकारी पहचान प्रणाली का दुरुपयोग हुआ है। अधिकारियों ने दोनों आधार कार्ड को जब्त कर लिया है और UIDAI (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) से संपर्क किया जा रहा है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि तकनीकी गड़बड़ी हुई है या फिर दस्तावेजों के साथ कोई जालसाजी की गई है।
इस मामले की जांच कर रही पुलिस टीम ने बताया कि कथावाचक मुकुट मणि अग्निहोत्री के खिलाफ पहले से भी कुछ विवादित गतिविधियों की शिकायतें मिल चुकी थीं, लेकिन अब इस आधार कार्ड प्रकरण ने मामले को और गंभीर बना दिया है।
स्थानीय लोगों में इस खुलासे के बाद हलचल मच गई है। कई लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि अगर एक ही व्यक्ति दो नामों से अलग-अलग काम कर रहा हो, तो इससे उसकी पहचान पर कैसे भरोसा किया जा सकता है? वहीं, कुछ लोगों का यह भी कहना है कि अगर यह जालसाजी का मामला है, तो इसमें शामिल लोगों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि यदि पाया गया कि यह जानबूझकर किया गया धोखाधड़ी का प्रयास है, तो आईटी अधिनियम और धोखाधड़ी की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा। साथ ही, यह भी पता लगाया जा रहा है कि इन आधार कार्डों का कहां-कहां उपयोग किया गया है और क्या इस पहचान का इस्तेमाल किसी सरकारी योजना, बैंकिंग या अन्य लाभ के लिए किया गया है।
फिलहाल पुलिस कथावाचक से पूछताछ कर रही है और UIDAI से रिपोर्ट आने का इंतजार किया जा रहा है। यह मामला प्रशासनिक सतर्कता और पहचान पत्रों की सुरक्षा प्रणाली को लेकर एक अहम चेतावनी साबित हो सकता है।