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ब्राह्मण न होने पर भगवताचार्य से की गई बदसलूकी, चोटी काटी, नाक रगड़वाकर माफी मंगवाई

ब्राह्मण न होने पर भगवताचार्य से की गई बदसलूकी, चोटी काटी, नाक रगड़वाकर माफी मंगवाई

उत्तर प्रदेश के इटावा जिले से सामाजिक सौहार्द को शर्मसार करने वाली एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। महेवा क्षेत्र के दांदरपुर गांव में शनिवार रात कथित रूप से ब्राह्मण न होने की जानकारी मिलने पर ग्रामीणों ने भगवताचार्य मुकट मणि (मुक्त सिंह) और उनके साथियों के साथ बर्बरता की सारी हदें पार कर दीं। भगवताचार्य का सिर मुड़वा दिया गया, चोटी काट दी गई, नाक रगड़वाकर माफी मंगवाई गई, और ग्रामीणों के पैर छुआकर क्षमा याचना करवाई गई

इस अमानवीय घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही इलाके में सनसनी फैल गई और प्रशासन में भी हड़कंप मच गया है।

क्या है पूरा मामला?

मुकट मणि उर्फ मुक्त सिंह, जो स्वयं को भगवताचार्य और धार्मिक उपदेशक बताते हैं, शनिवार को अपने कुछ सहयोगियों के साथ दांदरपुर गांव में धार्मिक कार्यक्रम के सिलसिले में पहुंचे थे। कार्यक्रम के दौरान जब ग्रामीणों को यह पता चला कि मुकट मणि जन्म से ब्राह्मण नहीं हैं, तो उनकी धार्मिक पहचान पर सवाल उठाते हुए ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया।

इसके बाद उन्हें पीटा गया, जबरन सिर मुंडवाया गया, धार्मिक प्रतीक चोटी काट दी गई और पूरे गांव के सामने नाक रगड़वाकर माफी मंगवाई गई। इतना ही नहीं, उनकी बाइक की हवा निकाली गई, और फिर पंप से हवा भरवाकर अपमानित किया गया

वीडियो वायरल होने पर हड़कंप

इस पूरी घटना का वीडियो किसी ने रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। वीडियो में मुकट मणि को अपमानजनक स्थिति में देखा जा सकता है, जिसमें वह नाक रगड़कर माफी मांगते और ग्रामीणों के पैर छूते दिखाई दे रहे हैं। वीडियो वायरल होते ही मानवाधिकार संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और धार्मिक संस्थाओं ने इस घटना की कड़ी निंदा की।

प्रशासन हरकत में

वीडियो वायरल होते ही पुलिस और जिला प्रशासन हरकत में आया। इटावा पुलिस ने संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है और घटना की जांच शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि वीडियो की सत्यता की पुष्टि की जा रही है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

इटावा के एसपी ने मीडिया को बताया कि “ऐसी घटनाएं समाज की धार्मिक सहिष्णुता और कानून व्यवस्था पर सीधा हमला हैं। मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है। आरोपियों को बख्शा नहीं जाएगा।”

सामाजिक आक्रोश और चिंता

यह घटना न केवल मानवता को शर्मसार करने वाली है, बल्कि यह भी सवाल उठाती है कि 21वीं सदी में भी जाति के आधार पर लोगों को अपमानित और प्रताड़ित किया जा रहा है। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और धर्मगुरुओं ने इस घटना को हिंसक जातिवादी मानसिकता का उदाहरण बताते हुए दोषियों की गिरफ्तारी और पीड़ित को न्याय देने की मांग की है।

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