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भागवताचार्य देवकीनंदन ठाकुरजी को फिर मिली जान से मारने की धमकी, सनातन समर्थकों में आक्रोश

भागवताचार्य देवकीनंदन ठाकुरजी को फिर मिली जान से मारने की धमकी, सनातन समर्थकों में आक्रोश

सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में सक्रिय और सनातन बोर्ड की स्थापना की मांग को लेकर लगातार सुर्खियों में रहने वाले भागवताचार्य देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज को एक बार फिर जान से मारने की धमकी मिली है। यह धमकी बृहस्पतिवार को ठा. श्रीप्रियाकांतजू मंदिर के कार्यालय के फोन पर भेजे गए एक ऑडियो मैसेज के माध्यम से दी गई, जिसमें अज्ञात व्यक्ति ने ठाकुरजी महाराज को एक महीने के भीतर जान से उड़ा देने की धमकी दी है।

मंदिर प्रशासन में हड़कंप

यह खबर मिलते ही मंदिर प्रशासन और श्रद्धालुओं में हड़कंप मच गया। मंदिर कार्यालय के कर्मचारियों ने तुरंत इसकी सूचना स्थानीय पुलिस को दी। पुलिस ने ऑडियो मैसेज को जब्त कर तकनीकी जांच के लिए भेज दिया है।

सनातन समर्थकों में रोष

इस धमकी के बाद सनातन धर्म के समर्थकों और अनुयायियों में भारी आक्रोश है। देवकीनंदन ठाकुरजी के हजारों अनुयायियों ने सोशल मीडिया पर सरकार से ठोस सुरक्षा इंतजाम की मांग की है। कई धार्मिक संगठनों ने इस घटना की निंदा करते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

पहले भी मिल चुकी है धमकी

यह पहली बार नहीं है जब देवकीनंदन ठाकुरजी को जान से मारने की धमकी मिली है। इससे पहले भी वह अपने बयानों और सनातन धर्म की रक्षा के लिए किए गए आंदोलनों को लेकर विवादों और धमकियों का सामना कर चुके हैं। फिर भी उन्होंने अपने प्रवचनों और जनजागरण अभियानों को जारी रखा है।

क्या बोले मंदिर प्रशासन?

मंदिर प्रशासन ने बताया कि ऑडियो संदेश में जिस तरह से धमकी दी गई है, वह बेहद गंभीर है और इससे महाराज की सुरक्षा को खतरा हो सकता है। प्रशासन की ओर से पुलिस में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई गई है, साथ ही मांग की गई है कि दोषी व्यक्ति की पहचान कर तत्काल गिरफ्तार किया जाए।

पुलिस की कार्रवाई

मथुरा पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और साइबर सेल व स्पेशल टीम को जांच में लगा दिया गया है। पुलिस अधीक्षक (नगर) ने बताया कि, "हम मामले को गंभीरता से ले रहे हैं। देवकीनंदन ठाकुरजी को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी और जल्द ही धमकी देने वाले की पहचान कर उसे गिरफ्तार किया जाएगा।"

राजनीति और धार्मिक संगठनों की प्रतिक्रिया

धार्मिक संगठनों के साथ-साथ कई राजनीतिक नेताओं ने भी इस घटना की निंदा की है। उन्होंने कहा कि ऐसे संत, जो धर्म और संस्कृति के संरक्षण के लिए कार्य कर रहे हैं, उन्हें धमकियों से डराया नहीं जा सकता

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