अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर बरेली में मौलाना का विवादित बयान, मंत्री जेपीएस राठौर ने किया खारिज

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर देशभर में योगाभ्यास और सूर्य नमस्कार के आयोजन हुए, लेकिन बरेली से एक विवादित बयान सामने आया जिसने सुर्खियां बटोर लीं। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने शनिवार को कहा कि सूर्य नमस्कार सनातन धर्म, यानी हिंदुओं का तरीका है, जो इस्लाम के हिसाब से हराम है। इस बयान ने योग दिवस की गरिमा को ठेस पहुंचाई और धार्मिक विवाद छिड़ गया।
मौलाना का बयान:
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने अपने बयान में सूर्य नमस्कार को हिन्दू धर्म का हिस्सा बताते हुए कहा कि यह इस्लाम में स्वीकार्य नहीं है। उनका यह विवादित बयान योग और सूर्य नमस्कार के सार्वभौमिक महत्व और उसके स्वास्थ्य लाभों को नजरअंदाज करता है, जो पूरी दुनिया में योग दिवस पर जोर दिया जाता है।
मंत्री जेपीएस राठौर का जवाब:
इस बयान पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंत्री जेपीएस राठौर ने तीखा रुख अपनाया है। उन्होंने मौलाना के बयान को “छोटी मानसिकता वाली बात” करार दिया और कहा कि योग और सूर्य नमस्कार का धार्मिक मतभेदों से कोई लेना-देना नहीं है। राठौर ने स्पष्ट किया कि योग एक सार्वभौमिक अभ्यास है, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है और इसे किसी एक धर्म तक सीमित नहीं किया जा सकता।
योग दिवस की गरिमा पर असर:
यह विवाद अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के महत्व को प्रभावित कर सकता है, जो विश्व स्तर पर शांति, स्वास्थ्य और सामंजस्य का संदेश देता है। योग दिवस पर सूर्य नमस्कार के माध्यम से स्वास्थ्य जागरूकता फैलाने का प्रयास कहीं कहीं धार्मिक मतभेदों के कारण प्रभावित होता दिख रहा है।
समाज में शांति और सौहार्द की अपील:
विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों ने भी मौलाना के बयान पर चिंता जताई है और सभी से अपील की है कि योग के सार्वभौमिक स्वास्थ्य लाभ को समझें और धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए सौहार्द बनाए रखें। योग दिवस का मकसद ही स्वस्थ जीवन के साथ समाज में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देना है।