अयोध्या में सावन के स्वागत को मिला स्वर्ण स्पर्श, रामलला झूलेंगे 5 किलो सोने के झूले पर

सावन मास की शुरुआत के साथ ही श्रीरामनगरी अयोध्या में भक्ति, परंपरा और भव्यता का अद्वितीय संगम देखने को मिलेगा। इस बार श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में विराजमान रामलला और प्रथम तल पर विराजमान सीताराम को श्रद्धालु स्वर्ण जड़ित झूले पर झूलते हुए दर्शन करेंगे। यह आयोजन जहां श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक अनुभूति का स्रोत बनेगा, वहीं इसकी भव्यता भक्तों को भाव-विभोर करने वाली है।
सोने से निर्मित दिव्य झूले
परंपरागत झूला उत्सव की इस वर्ष विशेष बात यह है कि रामलला के लिए मुंबई के कुशल कारीगरों द्वारा दो विशेष झूले बनाए जा रहे हैं, जो प्रत्येक पांच-पांच किलो शुद्ध सोने से निर्मित होंगे। एक झूले की अनुमानित कीमत करीब पांच करोड़ रुपये बताई जा रही है। झूलों को हीरे, माणिक और पन्ना जैसे बहुमूल्य रत्नों से सजाया जा रहा है, जिससे वे एक दिव्य और भव्य रूप ले चुके हैं।
भूतल पर रामलला, प्रथम तल पर सीताराम विराजमान
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के भूतल पर रामलला भव्य स्वरूप में विराजमान हैं, जबकि प्रथम तल पर सीताराम की प्रतिमा स्थापित है। सावन मास के पावन अवसर पर ये दोनों ही स्वरूप स्वर्ण झूले पर विराजमान होकर श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे। यह आयोजन सावन की धार्मिक भावनाओं को नई ऊंचाई देगा।
भक्तों में उत्साह, तैयारियां जोरों पर
स्वर्ण झूले के दर्शन की खबर से भक्तों में विशेष उत्साह देखा जा रहा है। मंदिर प्रशासन और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट इस आयोजन की व्यवस्थित योजना और सुरक्षा प्रबंध सुनिश्चित कर रहा है। मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा बढ़ाई जा रही है और झूला दर्शन के लिए विशेष व्यवस्था की जा रही है।
कला और आस्था का संगम
इन स्वर्ण झूलों की खास बात केवल उनकी कीमत या रत्नजड़ित बनावट नहीं, बल्कि उसमें समाहित भारतीय आभूषण कला और धार्मिक आस्था है। झूलों की डिजाइन को पारंपरिक धार्मिक शिल्पकला से जोड़कर तैयार किया गया है, जिसमें भावनात्मक और सांस्कृतिक मूल्यों का विशेष ध्यान रखा गया है।