
बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। सत्तारूढ़ एनडीए और महागठबंधन समेत सभी प्रमुख दलों ने चुनावी तैयारियों में तेजी ला दी है। गांव से लेकर शहर तक, कार्यकर्ताओं की बैठकें, जनसभाएं और बूथ स्तर तक संगठन को मजबूत करने की कवायद तेज हो गई है।
चुनाव आयोग की ओर से अभी तारीखों का आधिकारिक ऐलान नहीं किया गया है, लेकिन सभी राजनीतिक दल अपने-अपने स्तर पर तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं।
एनडीए खेमा सक्रिय
नीतीश कुमार की अगुवाई में एनडीए एक बार फिर सत्ता में वापसी की कोशिश में है। भाजपा, जदयू, लोजपा (रामविलास) समेत एनडीए के घटक दल सीट बंटवारे और प्रचार रणनीति को लेकर अंदरखाने में बैठकें कर रहे हैं। एनडीए ने विकास, कानून व्यवस्था और केंद्र की योजनाओं को अपने प्रमुख मुद्दे के तौर पर सामने रखने की योजना बनाई है।
महागठबंधन ने तेज की तैयारी
वहीं राजद, कांग्रेस और वाम दलों के नेतृत्व वाला महागठबंधन भी चुनावी रणभूमि में उतर चुका है। महागठबंधन की ओर से तेजस्वी यादव को सीएम चेहरा बनाए जाने की चर्चा जोरों पर है, हालांकि इस पर अंतिम मुहर लगना अभी बाकी है। गठबंधन दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर भी बातचीत तेज हो गई है।
जनसुराज और छोटे दल भी दिखा रहे दम
इस चुनाव में राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज भी दम दिखाने को तैयार है। हाल ही में कई नेताओं का जनसुराज में शामिल होना गठबंधन दलों के लिए चिंता का कारण बन सकता है। वहीं एआईएमआईएम, बसपा, और अन्य क्षेत्रीय दलों ने भी अपने-अपने स्तर पर ताल ठोकने की तैयारी शुरू कर दी है।
मुद्दे क्या होंगे?
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बेरोजगारी और महंगाई
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शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था
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कानून-व्यवस्था और महिला सुरक्षा
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बाढ़ और आपदा प्रबंधन
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जातीय समीकरण और सामाजिक न्याय
इन मुद्दों को लेकर पार्टियां एक-दूसरे पर निशाना साधने और खुद को बेहतर विकल्प के तौर पर पेश करने में लगी हैं।