अशोक चौधरी का बड़ा खुलासा, सोनिया गांधी के सामने रो पड़े थे, राहुल गांधी से भी की थी बातचीत

बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। नीतीश सरकार में मंत्री और जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय महासचिव अशोक चौधरी ने एक इंटरव्यू में बड़ा बयान देकर कांग्रेस और जेडीयू के पुराने संबंधों की परतें खोल दी हैं। उन्होंने वर्ष 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के बाद की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व से लालू प्रसाद यादव के साथ गठबंधन पर असहमति जताई थी।
चौधरी ने बताया कि जब कांग्रेस पार्टी ने 2015 के चुनावों में राजद के साथ गठबंधन का फैसला किया, तो वह इसके खिलाफ थे। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने इस मुद्दे पर दिल्ली जाकर कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। अशोक चौधरी के अनुसार, "मैंने सोनिया जी से आग्रह किया था कि कांग्रेस को बिहार में अकेले चुनाव लड़ना चाहिए। मैंने यह भी कहा कि लालू यादव की छवि और राजनीतिक शैली से कांग्रेस को नुकसान होगा। इस मुलाकात के दौरान मैं भावुक हो गया और सोनिया गांधी के सामने रो पड़ा।"
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि सोनिया गांधी इस पर सहमत नहीं हुईं और पार्टी ने गठबंधन का रास्ता चुना। इसके बाद चौधरी ने राहुल गांधी से भी बातचीत की, लेकिन वहां से भी उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला।
अशोक चौधरी ने यह भी कहा कि वह कांग्रेस पार्टी के अंदर बदलते रवैये और नेतृत्व की रणनीति से असहज महसूस करने लगे थे। उन्होंने राहुल गांधी के विजन पर टिप्पणी करते हुए कहा कि “राहुल जी में युवा सोच है, लेकिन व्यवहारिक राजनीति की समझ और समय पर फैसले लेने की क्षमता में कमी है।”
वर्तमान में जेडीयू में शामिल हो चुके अशोक चौधरी ने नीतीश कुमार के नेतृत्व की सराहना की और कहा कि बिहार के विकास, सामाजिक न्याय और कानून व्यवस्था को लेकर नीतीश सरकार ने उल्लेखनीय कार्य किया है। उन्होंने यह भी दोहराया कि जेडीयू एक स्पष्ट नीति और उद्देश्य वाली पार्टी है, जिसमें नेतृत्व और निर्णय प्रक्रिया में पारदर्शिता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अशोक चौधरी के इस खुलासे से एक बार फिर कांग्रेस की बिहार में रणनीति पर सवाल उठ सकते हैं। साथ ही, यह बयान कांग्रेस-जेडीयू संबंधों के अतीत और वर्तमान को नए दृष्टिकोण से देखने के लिए भी प्रेरित करता है।
बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियों के बीच अशोक चौधरी का यह बयान न केवल कांग्रेस के लिए असहज स्थिति पैदा कर सकता है, बल्कि जेडीयू की ओर से एक राजनीतिक संकेत भी माना जा सकता है कि वह कांग्रेस की अगुवाई वाले गठबंधन की रणनीति से अब पूरी तरह अलग सोच रखती है।