जेल से रिहा होते ही संभल हिंसा के आरोपी जफर अली का भव्य स्वागत, फूल-मालाएं और आतिशबाज़ी देख लोग हैरान
जब कोई देश के लिए कोई बड़ी उपलब्धि हासिल करता है या समाज में सराहनीय कार्य करता है, तो उसका स्वागत फूल-मालाओं और तालियों से किया जाता है। लेकिन अब यह परंपरा सिर्फ उपलब्धियों तक सीमित नहीं रही। अपराध के आरोपियों को भी नायक जैसा सम्मान मिलने लगा है। कुछ ऐसा ही नज़ारा देखने को मिला जब संभल हिंसा के मास्टरमाइंड और जामा मस्जिद के सदर जफर अली की रिहाई हुई।
जफर अली को मुरादाबाद जेल से 131 दिन बाद रिहा किया गया। जैसे ही वह जेल से बाहर आया, वहां मौजूद समर्थकों ने उसका फूल-मालाओं से स्वागत किया, पटाखे फोड़े और ‘जफर अली ज़िंदाबाद’ के नारे लगाए। इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिस पर लोग तीखी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।
जफर अली पर संभल में सांप्रदायिक हिंसा फैलाने, भीड़ को उकसाने और शांति भंग करने जैसे गंभीर आरोप हैं। उसकी गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने इसे बड़ी सफलता बताया था। लेकिन अब जिस तरह से उसकी रिहाई का जश्न मनाया गया, उससे कानून व्यवस्था पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।
प्रशासन मौन, सवाल उठते रहे
इस तरह के स्वागत से यह संदेश जा रहा है कि अपराधियों को भीरो की तरह प्रस्तुत किया जा सकता है। ऐसे मामलों में प्रशासन की चुप्पी भी चिंताजनक है। अब यह मांग उठने लगी है कि ऐसे आयोजनों पर सख्ती से रोक लगाई जाए ताकि अपराधियों को नायक के रूप में पेश करने की प्रवृत्ति पर लगाम लगे।
समाज में क्या संदेश जा रहा है?
समाजशास्त्रियों और कानूनविदों का मानना है कि आरोपियों को इस तरह से सम्मान देना न केवल कानून का मखौल है, बल्कि यह समाज में गलत संदेश भी देता है। यह उन लोगों का मनोबल गिराता है जो कानून पर विश्वास करते हैं और शांति व्यवस्था बनाए रखने की कोशिश करते हैं।

