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अपना दल में फिर फूटा बगावत का ज्वालामुखी, बृजेंद्र सिंह की अगुवाई में अलग दल बनाने की तैयारी

अपना दल (एस) में फिर फूटा बगावत का ज्वालामुखी, बृजेंद्र सिंह की अगुवाई में अलग दल बनाने की तैयारी

उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की अहम सहयोगी पार्टी अपना दल (सोनेलाल) में एक बार फिर भीतरघात और असंतोष की चिंगारी भड़क गई है। पार्टी की प्रमुख अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व वाले गुट में गुटबाजी खुलकर सामने आ गई है। पार्टी के पूर्व वरिष्ठ पदाधिकारी बृजेंद्र सिंह की अगुवाई में 2017 से अब तक अलग हो चुके और पार्टी की नीतियों से असंतुष्ट नेता अब एकजुट होकर नई राजनीतिक पार्टी खड़ी करने की तैयारी में हैं।

यह घटनाक्रम ऐसे समय पर सामने आया है जब उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनाव की सियासी बिसात बिछनी शुरू हो चुकी है। एनडीए के लिए यह संकेत न सिर्फ चिंताजनक है, बल्कि ओबीसी वोट बैंक की राजनीति में हलचल पैदा करने वाला भी हो सकता है।

पुराने नेताओं की वापसी नहीं, नया दल बनेगा

सूत्रों के अनुसार बृजेंद्र सिंह और उनके साथियों का झुकाव फिर से अपना दल (एस) में लौटने की बजाय नया सियासी मंच तैयार करने की ओर है। उनका आरोप है कि वर्तमान नेतृत्व ने पार्टी की मूल विचारधारा से समझौता किया है और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की जा रही है। बृजेंद्र सिंह ने कहा, "हम अपनी राजनीतिक पहचान और सिद्धांतों के साथ कोई समझौता नहीं करेंगे। पार्टी के हजारों पुराने कार्यकर्ता आज खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।"

नई पार्टी की रूपरेखा तैयार

विश्वस्त सूत्रों के अनुसार नई पार्टी की रूपरेखा लगभग तैयार है। इसका औपचारिक ऐलान जुलाई के दूसरे या तीसरे सप्ताह में लखनऊ में किया जा सकता है। पार्टी का फोकस पिछड़े वर्ग, किसानों और युवाओं के मुद्दों पर रहेगा। इस नई पहल के जरिए अपना दल (एस) की ही राजनीतिक जमीन को चुनौती देने की रणनीति बनाई जा रही है।

राजनीतिक विश्लेषण: क्यों अहम है यह घटनाक्रम?

अपना दल (एस) की राजनीति का आधार मुख्य रूप से कुर्मी वोट बैंक रहा है, जो पूर्वांचल और मध्य उत्तर प्रदेश में प्रभावी भूमिका निभाता है। यदि इस वर्ग में विभाजन होता है, तो यह बीजेपी और एनडीए के लिए आने वाले चुनावों में घाटे का सौदा बन सकता है। खुद अनुप्रिया पटेल मोदी कैबिनेट में मंत्री हैं और पार्टी का एनडीए में विशेष महत्व है।

पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं

अब तक अपना दल (एस) के शीर्ष नेतृत्व की ओर से इस बगावत पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि, पार्टी के कुछ पदाधिकारियों ने अनौपचारिक तौर पर इसे "स्वार्थ और महत्वाकांक्षा से प्रेरित कदम" करार दिया है।

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