भारत-नेपाल सीमा पर जाली परमिट से निजी बसों के संचालन का मामला, परिवहन विभाग ने एफआईआर दर्ज कराई
भारत-नेपाल सीमा पर जाली परमिट के आधार पर निजी बसों के संचालन का मामला सामने आने के बाद परिवहन विभाग में हड़कंप मच गया है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने तुरंत एफआईआर दर्ज कराने और उच्च स्तरीय जांच कराने का आदेश दिया है।
मामला और विभाग की प्रतिक्रिया
सूत्रों के अनुसार, सीमा क्षेत्र में कुछ निजी बस संचालक जाली परमिट बनवाकर अवैध रूप से बस सेवा चला रहे थे। इससे न केवल परिवहन विभाग की नियमावली की खुलकर अवहेलना हुई है, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा और विभागीय प्रणाली की विश्वसनीयता भी प्रभावित हुई है।
परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने कहा, "इस तरह की धोखाधड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। हम सुनिश्चित करेंगे कि सभी बस ऑपरेटर नियमों के तहत काम करें और यात्रियों को सुरक्षित सेवाएं प्रदान करें।"
जांच की गहराई
परिवहन विभाग ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया है जो सभी संबंधित दस्तावेजों और बस संचालन के मामलों की बारीकी से पड़ताल करेगा। जाली परमिट के माध्यम से बसों के संचालन के पीछे कौन-कौन शामिल हैं, इसे उजागर करने के लिए विभाग ने सभी संभव कदम उठाने का निर्णय लिया है।
यात्रियों के लिए असर
जाली परमिट के कारण बसों की सुरक्षा और सेवा गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं। विभाग की इस कार्रवाई से उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही यात्री सुरक्षित और भरोसेमंद परिवहन सेवाओं का लाभ उठा सकेंगे।

