यूपी में मानसून की बारिश के बीच नगर निगम की नाला सफाई अधूरी, पार्षद खुद लेकर आए समस्या का सच

उत्तर प्रदेश में मानसून का आगमन हो चुका है और राजधानी लखनऊ में भी अच्छी बारिश हुई है। हालांकि, बारिश के बीच नगर निगम की तैयारियां अभी तक पूरी नहीं हो सकी हैं। नालों के चोक होने की समस्या ने बारिश में जनजीवन को प्रभावित कर दिया है। खास बात यह है कि इस स्थिति का प्रमाण खुद पार्षद दे रहे हैं, जो नालों में उतर कर सफाई की हकीकत सामने ला रहे हैं।
बजट खर्च में कमी नहीं, लेकिन सफाई अधूरी
इस साल नगर निगम ने नाला सफाई के लिए कुल 13 करोड़ रुपये का बजट जारी किया था। शुरू में सात करोड़ रुपये आवंटित किए गए, बाद में छह करोड़ रुपये और जारी किए गए। इसके बावजूद नालों की सफाई पूरी तरह से नहीं हो पाई है।
लक्ष्य और वास्तविकता में बड़ा अंतर
नगर निगम ने नाला सफाई का काम 20 जून तक पूरा करने का लक्ष्य रखा था। अधिकारियों का दावा है कि अब तक 90 प्रतिशत सफाई पूरी हो चुकी है, लेकिन फिर भी लगभग 10 प्रतिशत नाले ऐसे हैं जिनकी सफाई बाकी है। यह 10 प्रतिशत नाले जब बारिश के पानी को रोकते हैं, तो जलभराव की समस्या उत्पन्न होती है, जिससे लोगों को काफी परेशानी होती है।
पार्षदों का नालों में उतरना बताता है गंभीरता
नगर निगम के इस रवैये से नाराज पार्षद नालों में उतर कर सफाई की स्थिति का जायजा ले रहे हैं। उनका कहना है कि कई नाले अभी भी पूरी तरह से बंद हैं, जिससे गंदा पानी घरों और सड़कों पर जमा हो रहा है। पार्षदों का यह कदम यह दर्शाता है कि निगम की रिपोर्ट और जमीन पर स्थिति में काफी अंतर है।
नागरिकों की परेशानी बढ़ी
बारिश के मौसम में नालों के चोक होने से सड़कें जलमग्न हो जाती हैं, जिससे आम जनता को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा गंदगी और बदबू से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी बढ़ जाती हैं।