10 हजार से अधिक प्राइमरी स्कूलों के विलय पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई, इलाहाबाद हाईकोर्ट से नहीं मिली थी राहत
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कम छात्र संख्या वाले 10 हजार से अधिक प्राइमरी स्कूलों को अन्य विद्यालयों में विलय करने के फैसले के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। सर्वोच्च न्यायालय ने इस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को स्वीकार करते हुए सुनवाई पर सहमति जता दी है। इससे राज्य भर में हजारों स्कूलों और उनसे जुड़े शिक्षकों, छात्रों व अभिभावकों को उम्मीद की नई किरण मिली है।
हाईकोर्ट ने नहीं दी थी राहत
इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिनमें कहा गया था कि राज्य सरकार का यह कदम शिक्षा के अधिकार और बच्चों के मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन है। हालांकि, हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए सरकार के फैसले को नीतिगत निर्णय मानते हुए इसमें हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था।
क्या है सरकार का फैसला?
उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में एक आदेश जारी कर कहा था कि ऐसे प्राइमरी स्कूल जिनमें छात्रों की संख्या बहुत कम है (आमतौर पर 30 से कम), उन्हें पास के दूसरे स्कूलों में मर्ज (विलय) किया जाएगा। सरकार का दावा है कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी, शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित होगी, और संसाधनों का समुचित उपयोग हो सकेगा।
याचिकाकर्ताओं की आपत्तियां
इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले पक्षकारों का कहना है कि—
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यह फैसला ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों में बच्चों के शिक्षा के अधिकार को प्रभावित करेगा।
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मर्ज किए गए स्कूल दूर स्थित होंगे, जिससे छोटे बच्चों को आने-जाने में परेशानी और असुरक्षा का सामना करना पड़ेगा।
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यह कदम कई स्थानों पर स्कूलों की पूर्ण बंदी जैसा साबित होगा, जिससे शिक्षा छात्रों की पहुंच से दूर हो जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई अहम
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के लिए तारीख तय करते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अब सभी की निगाहें कोर्ट के आगामी रुख पर टिकी हैं। यदि सर्वोच्च न्यायालय इस मामले में याचिकाकर्ताओं के पक्ष में कोई अंतरिम राहत देता है, तो सरकार की स्कूल विलय नीति को झटका लग सकता है।
शिक्षा विभाग की सफाई
वहीं, राज्य शिक्षा विभाग का कहना है कि यह फैसला राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार लिया गया है, जिसका उद्देश्य सुव्यवस्थित शिक्षा केंद्र बनाना, संसाधनों का एकीकरण करना और बच्चों को बेहतर शिक्षण वातावरण प्रदान करना है।

