इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विनय तिवारी को दी सशर्त जमानत, बिकरू कांड में लगभग पांच साल से थे जेल में

उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के चर्चित बिकरू कांड के आरोपी और चौबेपुर के पूर्व थाना प्रभारी विनय तिवारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से सशर्त जमानत मिल गई है। यह उनकी दूसरी जमानत है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ की पीठ ने आरोपी विनय तिवारी को जमानत देने का आदेश दिया। उल्लेखनीय है कि विनय तिवारी करीब पांच वर्षों से जेल में बंद थे, और उन्होंने अपनी जमानत के लिए दूसरी बार अर्जी दाखिल की थी, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया।
बिकरू कांड, जो 2 जुलाई 2020 को हुआ था, प्रदेश के कानपुर जिले में उस समय सुर्खियों में आया था जब अपराधी विकास दुबे और उसके साथियों ने पुलिस पर हमला कर आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। इस घटना के बाद पुलिस ने कई अभियुक्तों को गिरफ्तार किया था, जिसमें चौबेपुर थाना प्रभारी विनय तिवारी का नाम भी शामिल था। आरोप है कि विनय तिवारी ने इस कांड में सहमति या कोई न कोई भूमिका निभाई थी, जिसके कारण उन्हें गिरफ्तार किया गया था।
विनय तिवारी की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उनकी दलीलों को सुना और फैसला लिया। कोर्ट ने जमानत को कुछ शर्तों के साथ मंजूरी दी है, जिसमें विनय तिवारी को अदालत के समक्ष समय-समय पर पेश होने, कोर्ट द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करने, और जांच में किसी प्रकार की बाधा न डालने की शर्तें शामिल हैं।
उनके वकील ने कोर्ट में यह तर्क दिया कि आरोपी लगभग पांच साल से जेल में हैं और अब तक उनके खिलाफ कोई ठोस आरोप साबित नहीं हुआ है, जबकि उनके खिलाफ जो आरोप थे, उनमें से अधिकांश गवाह अब तक गवाही देने के लिए तैयार नहीं हुए हैं। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि विनय तिवारी का जेल में रहना उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है, और अब उन्हें जमानत मिलनी चाहिए।
कोर्ट ने उनकी दलीलें सुनने के बाद, सशर्त जमानत दे दी। हालांकि, जमानत मिलने के बाद भी विनय तिवारी को इस मामले में पूरी तरह से मुक्ति नहीं मिली है। अदालत ने उन्हें जमानत मिलने के बावजूद आगामी सुनवाई में अदालत के समक्ष उपस्थित होने और सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करने का आदेश दिया है।
इस आदेश के बाद, कानपुर में बिकरू कांड को लेकर लगातार चल रही न्यायिक प्रक्रिया में एक नया मोड़ आया है। जहां एक ओर आरोपी विनय तिवारी को जमानत मिल गई है, वहीं दूसरी ओर पुलिस और न्यायिक प्रणाली पर यह सवाल भी खड़ा होता है कि इस मामले की जांच में कितनी पारदर्शिता और निष्पक्षता है।
बिकरू कांड में पुलिसकर्मियों की हत्या से लेकर आरोपी विकास दुबे की गिरफ्तारी और मौत तक, यह मामला अब तक उत्तर प्रदेश में बड़े विवादों का कारण बन चुका है। इस मामले में जमानत मिलने के बावजूद अब देखना यह होगा कि कोर्ट इस कांड में अन्य आरोपियों के खिलाफ क्या कदम उठाता है और किस तरह से इस मामले की जांच पूरी होती है।