
मरीजों की सुविधा को प्राथमिकता देते हुए एम्स गोरखपुर प्रशासन ने एक सराहनीय निर्णय लिया है। एम्स की कार्यकारी निदेशक मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) डॉ. विभा दत्ता ने ओपीडी में आने वाले नए रोगियों से पंजीकरण शुल्क नहीं लेने का फैसला किया है। यह निर्णय संस्थान में उपचार के लिए आने वाले हजारों रोगियों के लिए बड़ी राहत साबित होगा।
इस पहल के तहत अब ओपीडी में पहली बार आने वाले मरीजों को किसी प्रकार का पंजीकरण शुल्क अदा नहीं करना होगा। पहले नए रोगियों से यह शुल्क अनिवार्य रूप से लिया जाता था, लेकिन अब इसे पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है।
रोगियों को मिलेगा सीधा लाभ
एम्स गोरखपुर पूर्वांचल और आसपास के राज्यों के मरीजों के लिए एक प्रमुख चिकित्सा केंद्र बनकर उभरा है। यहां प्रतिदिन सैकड़ों मरीज ओपीडी सेवाओं का लाभ उठाते हैं। पंजीकरण शुल्क खत्म करने से विशेष रूप से गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले मरीजों को आर्थिक राहत मिलेगी।
स्वास्थ्य सेवा को सुलभ और सस्ता बनाने की दिशा में कदम
डॉ. विभा दत्ता ने स्पष्ट किया कि इस निर्णय का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक सुलभ और किफायती बनाना है। उन्होंने कहा, "एम्स की स्थापना का मूल उद्देश्य आमजन को उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना है। हम मरीजों की परेशानियों को कम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
जनता ने सराहा निर्णय
एम्स प्रशासन के इस फैसले का मरीजों और उनके परिजनों ने स्वागत किया है। लोगों का कहना है कि यह कदम न केवल आर्थिक बोझ को कम करेगा बल्कि अस्पताल पर विश्वास और भी मजबूत करेगा।
एम्स गोरखपुर में लगातार हो रहे सुधार
निदेशक डॉ. दत्ता के कार्यकाल में एम्स गोरखपुर में लगातार मरीजों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए सुधार किए जा रहे हैं। चाहे वह ओपीडी में सुविधाओं का विस्तार हो या दवाओं की उपलब्धता – हर स्तर पर गुणवत्ता को प्राथमिकता दी जा रही है।