आगरा धर्मांतरण केस: सरगना अब्दुल रहमान खुद है 'कन्वर्टेड', लंदन से होती थी फंडिंग, पूरा परिवार शामिल
ताजनगरी आगरा में उजागर हुए धर्मांतरण गैंग के सरगना अब्दुल रहमान कुरैशी को लेकर चौंकाने वाली जानकारियाँ सामने आ रही हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार, अब्दुल रहमान खुद कन्वर्टेड मुस्लिम है। उसने वर्ष 1990 में महेंद्र पाल जादौन से पहले ईसाई धर्म अपनाया, और कुछ साल बाद इस्लाम कुबूल कर अब्दुल रहमान बन गया।
धर्मांतरण गैंग के नेटवर्क की परतें अब धीरे-धीरे खुलती जा रही हैं। रहमान केवल अकेला शख्स नहीं था, बल्कि उसका पूरा परिवार इस गतिविधि में किसी न किसी रूप से शामिल और कन्वर्टेड पाया गया है। पुलिस जांच में पता चला है कि उसकी पत्नी और दोनों बेटों की पत्नियां भी पहले हिंदू थीं, जिन्हें बाद में इस्लाम धर्म में परिवर्तित किया गया।
अंतरराष्ट्रीय फंडिंग से जुड़ा कनेक्शन
एक और सनसनीखेज जानकारी यह सामने आई है कि अब्दुल रहमान के भतीजे के जरिए लंदन से फंडिंग रूट की जाती थी। प्रारंभिक जांच में संकेत मिले हैं कि धर्मांतरण की गतिविधियों को संचालित करने के लिए विदेश से आर्थिक सहायता मिल रही थी, जिसे रहमान तक पहुँचाने का काम उसका भतीजा करता था।
पुलिस अधिकारियों का मानना है कि यह मामला सिर्फ स्थानीय स्तर तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका नेटवर्क अंतरराष्ट्रीय स्तर तक फैला हुआ हो सकता है। वित्तीय लेनदेन की पूरी जांच के लिए ईडी और खुफिया एजेंसियों से भी संपर्क किया जा रहा है।
पूरा परिवार बना ‘मिशन का हिस्सा’
जांच में यह भी सामने आया है कि रहमान के परिजन धर्मांतरण के इस ‘मिशन’ का सक्रिय हिस्सा थे। उसकी पत्नी, बहुएं और बेटे समाज के विभिन्न वर्गों में संपर्क बनाकर लोगों को प्रभावित करने का काम करते थे। इनका मुख्य निशाना दलित, पिछड़े और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोग होते थे।
धर्म परिवर्तन के बदले शिक्षा, नौकरी, आर्थिक सहायता और विवाह जैसे लुभावने वादे किए जाते थे।
पुलिस की जांच तेज, कई एजेंसियां शामिल
अब्दुल रहमान की गिरफ्तारी के बाद अब इस पूरे नेटवर्क की गहन छानबीन की जा रही है। धर्मांतरण सामग्री, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, बैंक डिटेल्स और फोन कॉल रिकॉर्ड को खंगाला जा रहा है। पुलिस ने बताया कि अब्दुल रहमान से लगातार पूछताछ की जा रही है और वह धीरे-धीरे कई अहम जानकारियाँ दे रहा है।
एक अधिकारी ने बताया, “हमारा फोकस अब नेटवर्क के फाइनेंसर और रूट चैनल्स पर है। यह एक सुनियोजित साजिश थी जो कमजोर वर्गों को टारगेट कर सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित करने की कोशिश कर रही थी।”
आगे की रणनीति
पुलिस ने मामले को सांप्रदायिक सद्भाव से जोड़ते हुए बेहद संवेदनशील मानते हुए अतिरिक्त सतर्कता बरती है। राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियां भी इस केस में सक्रिय हो चुकी हैं।

