साल भर बाद बहराइच में फिर जिंदा हुआ लंगड़े भेड़िए का खौफ, एक के बाद एक लगातार हो रहीं घटनाएं

बहराइच जिले के गड़मर कला गांव के गढ़ीपुरवा गांव के बरामदे में मां के साथ सो रहे आयुष (2) को सोमवार की देर रात एक भेड़िया उठा ले गया। करीब एक किलोमीटर दूर गन्ने के खेत में ले जाकर उसे खा गया। ग्रामीणों का दावा है कि आयुष के शव को खाते हुए कई लोगों ने तीन भेड़ियों को देखा है। इनमें दो शावक थे और एक लंगड़ा भेड़िया था। ग्रामीणों का दावा है कि पिछले साल करीब पांच महीने तक आतंक का पर्याय बना लंगड़ा भेड़िया फिर से लोगों के जेहन में जिंदा हो गया है। महसी क्षेत्र जून से अक्टूबर तक भेड़ियों के साये में रहता है। सोमवार की रात करीब एक से दो बजे के बीच एक जंगली जानवर बगल में सो रही खुशबू के दो साल के बेटे को उठा ले गया। मासूम बच्चे को गांव से करीब एक किलोमीटर दूर गन्ने के खेत में ले जाकर खा गया। घटना की सूचना मिलने पर ग्रामीण बच्चे की तलाश में खेत में पहुंचे तो तीन भेड़िए आयुष के शव को खा रहे थे। ग्रामीणों का दावा है कि वन विभाग ने इस भेड़िये को पकड़ने के लिए जो जाल बिछाया था, भेड़िया उसे फाड़कर गन्ने के खेत में भाग गया। ग्रामीणों का यह भी दावा है कि ड्रोन से भी भेड़िया दिखाई दिया, लेकिन उसे देखने के बाद भी वन विभाग उसे लोमड़ी बताता रहा। पिछले साल जून और अक्टूबर में भी ऐसा ही देखने को मिला था, जब भेड़िया लगातार लोगों को अपना शिकार बना रहा था। लेकिन वन विभाग इसे भेड़िया मानने को तैयार नहीं था। हालांकि वन विभाग ने 2 सितंबर 2024 को एक पत्र जारी कर भेड़िये के हमले में सिर्फ आठ लोगों की मौत की पुष्टि की। ग्रामीणों ने हमले में एक लंगड़े भेड़िये के शामिल होने का जिक्र किया। दावा किया गया कि यह लंगड़ा भेड़िया लगातार हमला करने वाले भेड़ियों के इस परिवार का नेतृत्व कर रहा था। हालांकि वन विभाग ने ऐसे किसी लंगड़े भेड़िये के होने की पुष्टि नहीं की, लेकिन लगातार हो रहे हमलों और मौतों ने अधिकारियों की चिंता जरूर बढ़ा दी है। वन्यजीवों के हमलों में एक के बाद एक करीब अस्सी लोग घायल हुए। वन विभाग ने पांच भेड़ियों को पकड़ा। आयुष की मौत के बाद एक बार फिर लोगों में भेड़ियों का खौफ है। पीड़ित परिवार के साथ ही गांव वाले कह रहे हैं कि हमले में लंगड़ा भेड़िया शामिल था। इतना ही नहीं, उसके परिवार में दो नए भेड़ियों की मौजूदगी लोगों की चिंता के साथ ही डर भी बढ़ा रही है।
पिछले साल जुलाई में हुआ था पहला हमला
वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक भेड़िए का पहला हमला मक्कापुरवा में 17 जुलाई को हुआ था। भेड़िए ने अख्तर रजा के एक साल के बेटे को मार डाला था। भेड़िए का आखिरी हमला गठेरी में 2 सितंबर को हुआ था। यहां ढाई साल की अंजली को भेड़िए ने मार डाला था। हालांकि वन विभाग से इतर गांव वालों का दावा है कि जुलाई से पहले 10 मार्च को मिश्रापुरवा में तीन साल की सायरा और 23 मार्च को नयापुरवा के दो साल के छोटू की हमले में मौत हो गई थी।