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अविवाहित बेटी की संपत्ति पर दत्तक पिता का अधिकार नहीं, हाईकोर्ट का अहम फैसला

अविवाहित बेटी की संपत्ति पर दत्तक पिता का अधिकार नहीं, हाईकोर्ट का अहम फैसला

हाईकोर्ट ने एक दत्तक पिता द्वारा अपनी अविवाहित पुत्री की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति पर अधिकार जताने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। न्यायमूर्ति एनके व्यास की एकलपीठ ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि दत्तक पिता को अपनी अविवाहित पुत्री की संपत्ति का वारिस नहीं बनाया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि सिर्फ दस्तावेजों में नॉमिनी होने के आधार पर दत्तक पुत्री को वारिस नहीं माना जा सकता और इतना ही काफी नहीं है। दत्तक पिता अविवाहित पुत्री की बैंक, बीमा या अन्य चल-अचल संपत्ति का वारिस नहीं बन सकता। रायगढ़ जिले के पुसाऊ निवासी क्षितिभूषण पटेल के छोटे भाई पंचराम पटेल जो पुलिस विभाग में आरक्षक के पद पर कार्यरत थे, का विवाह 1987 में फुलकुमारी पटेल से हुआ था। इससे एक पुत्री कुमारी ज्योति पटेल का जन्म हुआ। 7 मई 1993 को पत्नी फुलकुमारी ससुराल छोड़कर चली गई। पुत्री ज्योति अपने दादा कमलधर के पास रहती थी। पंचराम पटेल की मृत्यु 26 जून 1999 को सेवाकाल के दौरान हो गई थी। इसके बाद दादा कमलधर पटेल की भी मृत्यु हो गई। इसके बाद पंचराम के बड़े भाई अपीलार्थी खितिभूषण ने विधिवत ज्योति पटेल को अपनी पुत्री के रूप में गोद लेकर अपने पास रखा तथा उसके भरण-पोषण, शिक्षा एवं सम्पूर्ण पालन-पोषण का ध्यान रखा। इसके बाद ज्योति पटेल को पुलिस विभाग में अनुकंपा नियुक्ति मिली। दुर्भाग्यवश 17 सितम्बर 2014 को ज्योति की अविवाहित मृत्यु हो गई। दत्तक पिता मृतक दत्तक पुत्री के सभी बैंक, बीमा पॉलिसियों एवं अन्य दस्तावेजों में नामिती है।

पुत्री की मृत्यु के बाद दत्तक पिता ने अपने खाते में जमा राशि प्राप्त करने के लिए सिविल न्यायालय में आवेदन किया। आवेदन खारिज होने के विरुद्ध उन्होंने उच्च न्यायालय में अपील दायर की। मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा कि नामिती को बीमा कंपनी द्वारा जारी पॉलिसी के तहत राशि अथवा बैंक में बचत खाते में जमा राशि अथवा सावधि जमा रसीद प्राप्त करने का अधिकार है, किन्तु उनका वितरण उनके उत्तराधिकार कानून के अनुसार होगा। चूंकि पक्षकार हिंदू हैं, इसलिए मृतक की संपत्ति का वितरण हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के तहत किया जाएगा और चूंकि मृतक एक महिला है, इसलिए उसकी संपत्ति अधिनियम, 1956 की धारा 15 और 16 के अनुसार वितरित की जाएगी। चूंकि मां, जो उप-धारा (1) में निर्दिष्ट कानूनी उत्तराधिकारी है, अधिनियम की धारा 15 की श्रेणी सी के अंतर्गत आती है, वह बीमा कंपनी या बैंक या नियोक्ता यानी पुलिस विभाग के पास जमा संपत्ति का उत्तराधिकारी होगी। यहां यह बताना उचित है कि मृतक एक अविवाहित महिला है और मृतक के पिता की भी मृत्यु हो चुकी है, इसलिए मां एकमात्र कानूनी उत्तराधिकारी है जो उत्तराधिकार के लिए दायर आवेदनों में शामिल संपत्तियों को विरासत में पाने की हकदार है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने दत्तक पिता द्वारा सिविल कोर्ट द्वारा पारित आदेश के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया है।

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