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उत्तराखंड सीमा पर भी अवैध मदरसों पर कार्रवाई शुरू, रामपुर में दो मदरसे और धार्मिक स्थलों को हटाया गया

उत्तराखंड सीमा पर भी अवैध मदरसों पर कार्रवाई शुरू, रामपुर में दो मदरसे और धार्मिक स्थलों को हटाया गया

उत्तर प्रदेश सरकार ने नेपाल सीमा के बाद अब उत्तराखंड सीमा पर अवैध मदरसों और धार्मिक अतिक्रमणों के खिलाफ भी सख्त रुख अपनाते हुए कार्रवाई शुरू कर दी है। इस अभियान के तहत रामपुर जिले में सरकारी जमीन पर बने दो अवैध मदरसे, एक मस्जिद और एक दरगाह को हटा दिया गया है। यह कार्रवाई स्थानीय प्रशासन की देखरेख में की गई और मौके पर भारी पुलिस बल भी तैनात रहा।

सूत्रों के अनुसार, प्रदेश सरकार ने रूहेलखंड क्षेत्र, विशेषकर उत्तराखंड सीमा से सटे जिलों जैसे पीलीभीत, बरेली और रामपुर में सरकारी जमीन पर हुए धार्मिक अतिक्रमणों को चिह्नित कर तत्काल हटाने के निर्देश दिए हैं। यह कदम राज्य में कानून-व्यवस्था को सुदृढ़ करने और जमीनों पर अवैध कब्जों को समाप्त करने के बड़े अभियान का हिस्सा है।

रामपुर में चली बड़ी कार्रवाई:

रामपुर में तहसील और जिला प्रशासन की संयुक्त टीम ने जांच के बाद पाया कि दो मदरसे, एक मस्जिद और एक दरगाह राजस्व विभाग की जमीन पर अवैध रूप से बनाए गए थे। प्रशासन ने पहले इन संस्थाओं को नोटिस जारी किया और निर्धारित समयावधि में जवाब नहीं मिलने पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की गई। मौके पर जेसीबी मशीन लगाई गई और धार्मिक स्थलों को हटाया गया।

इस दौरान किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। स्थानीय प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने के लिए नहीं, बल्कि अवैध कब्जों और सरकारी जमीन की सुरक्षा के लिए की जा रही है।

पूरे रूहेलखंड में चलेगा अभियान:

सूत्रों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश सरकार ने बरेली मंडल के सभी जिलों को निर्देश दिया है कि वे उत्तराखंड सीमा से लगे क्षेत्रों में अवैध रूप से बने मदरसों और धार्मिक संरचनाओं की जांच करें। इसके लिए संबंधित जिलों में राजस्व, शिक्षा और पुलिस विभाग की संयुक्त टीमों को तैनात किया गया है। आने वाले दिनों में इस अभियान के तेज होने की संभावना है।

सरकार का रुख स्पष्ट:

राज्य सरकार का कहना है कि धार्मिक आस्था के नाम पर सरकारी भूमि पर अतिक्रमण को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अवैध मदरसों के खिलाफ चल रही कार्रवाई का मकसद न केवल भूमि को मुक्त कराना है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और कानून का अनुपालन सुनिश्चित करना भी है।

यह अभियान संवेदनशील जरूर है, लेकिन प्रशासन ने इसे नियम और प्रक्रिया के तहत संचालित करने का भरोसा दिलाया है। वहीं, स्थानीय निवासियों और जनप्रतिनिधियों से भी अपील की गई है कि वे प्रशासन का सहयोग करें और अफवाहों से बचें।

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