अवैध धर्मांतरण सिंडिकेट से जुड़े आरोपियों की सोशल मीडिया पर 'इस्लामिक राष्ट्र' बनाने की मुहिम का खुलासा
शहर में सामने आए अवैध धर्मांतरण सिंडिकेट की जांच में चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार, गिरफ्तार आरोपियों ने सोशल मीडिया पर भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की मुहिम छेड़ रखी थी। उनके ऑनलाइन पोस्ट और संदेश न सिर्फ धार्मिक विद्वेष फैलाने वाले हैं, बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द को भी गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाने वाले हैं।
क्या कहते हैं जांच के तथ्य:
-
आरोपी पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ के पूजा-पाठ वाले वीडियो साझा कर यह प्रचार करते थे कि "इस्लाम में मूर्ति पूजा वर्जित है", और हिंदू धर्म बुतपरस्ती को बढ़ावा देता है।
-
इन वीडियो के साथ उत्तेजक टिप्पणियां और भड़काऊ संदेश पोस्ट किए जाते थे, जिनका उद्देश्य युवाओं को गुमराह करना था।
-
आरोपियों के फोन और लैपटॉप से ऐसे मैसेज और डॉक्युमेंट्स मिले हैं जिनमें कई मंदिरों का उल्लेख किया गया है, जिन्हें कथित तौर पर मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा ध्वस्त किया गया था। इन संदेशों का उद्देश्य इतिहास को आधार बनाकर धार्मिक ध्रुवीकरण करना था।
पुलिस की कार्रवाई:
-
मामले की जांच एटीएस (Anti-Terrorism Squad) और साइबर सेल की निगरानी में की जा रही है।
-
आरोपियों के सोशल मीडिया नेटवर्क और विदेशी संपर्कों की भी जांच की जा रही है।
-
अब तक की जांच में यह भी संकेत मिले हैं कि ये लोग अंतरराष्ट्रीय कट्टरपंथी संगठनों की विचारधारा से प्रभावित थे।
क्या है मामला?
कुछ समय पहले आगरा में अवैध धर्मांतरण से जुड़े एक संगठित गिरोह का पर्दाफाश हुआ था, जिसमें धार्मिक भावनाओं को भड़काकर और आर्थिक लालच देकर धर्म परिवर्तन कराए जा रहे थे। अब इस मामले से जुड़ी डिजिटल जांच में सामने आया है कि ये लोग सिर्फ धर्मांतरण तक सीमित नहीं थे, बल्कि सोशल मीडिया के जरिए धार्मिक उन्माद फैलाने और राष्ट्र विरोधी एजेंडा चलाने में भी सक्रिय थे।
प्रशासन सतर्क:
प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि किसी भी स्तर पर समाज में वैमनस्य फैलाने की कोशिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ऐसे मामलों पर जीरो टॉलरेंस नीति अपनाते हुए सख्त कार्रवाई की जाएगी।

