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यूपी के इस जिले में बनेगी ऐसी गोशाला, जहां पांच रुपये प्रति लीटर खरीदा जाएगा गो-मूत्र

यूपी के इस जिले में बनेगी ऐसी गोशाला, जहां पांच रुपये प्रति लीटर खरीदा जाएगा गो-मूत्र

बरेली के मझगवां विकास खंड स्थित खंगवां श्याम गांव की गोशाला को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही गो आधारित खेती का मॉडल तैयार करेंगे। यह यूपी की पहली गोशाला होगी, जहां पांच रुपये प्रति लीटर गोमूत्र खरीदा जाएगा। गोमूत्र से कीटनाशक जीवामृत, बीजामृत और घनजीवनामृत तैयार किए जाएंगे। प्रस्तावित मॉडल को लागू करने के लिए शुक्रवार को सर्किट हाउस मीटिंग हॉल में गो संरक्षण के लिए गठित विभागीय स्तरीय अनुश्रवण, मूल्यांकन एवं समीक्षा समिति की बैठक में गो सेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता ने विभागीय अधिकारियों को पूरा प्रारूप समझाया। उन्होंने खंगवां श्याम की गोशाला का स्थलीय निरीक्षण भी किया। अध्यक्ष ने बताया कि खंगवां श्याम की गोशाला को गो आधारित खेती का केंद्र बनाकर विकास खंड के 92 गांवों को जोड़ा जाएगा। प्रत्येक गांव में जिन किसानों के पास गाय हैं, उन्हें भी प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित किया जाएगा। जिन किसानों के पास गाय नहीं हैं, उन्हें भी प्राकृतिक खेती के फायदे बताए जाएंगे। गोशालाओं का निरीक्षण

बैठक से पहले गो सेवा आयोग के उपाध्यक्ष महेश शुक्ला, फिरोजाबाद के सदस्य रमाकांत उपाध्यक्ष, जालौन के राजेश सिंह सेंगर, मुरादाबाद के दीपक गोयल ने अधकटा नजराना, महेशपुर और शरीफनगर की गोशालाओं का निरीक्षण किया। बैठक में बरखेड़ा विधायक स्वामी प्रकटानंद, मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल, पशुपालन विभाग के अपर निदेशक डॉ. एमपी सिंह, सीडीओ देवयानी, नगर आयुक्त संजीव कुमार मौर्य, पुलिस अधीक्षक मानुष पारीक के अलावा कई विभागीय अधिकारी और चारों जिलों के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी मौजूद रहे।

यह है प्रारूप

गोशाला में सभी गायों को सहभागिता योजना के तहत स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को दिया जाएगा। उन्हें एक गाय पालने के लिए 1500 रुपये प्रतिमाह मिलेंगे।

मनरेगा के तहत गोवंश पालन करने वाली महिला स्वयं सहायता समूहों के परिसर में बायोगैस प्लांट लगाए जाएंगे। नाद और पशुशालाएं बनाई जाएंगी।

प्राकृतिक खेती से उत्पादित फल, सब्जी और खाद्यान्न की बिक्री के लिए नेटवर्क बनाया जाएगा। इसका उद्देश्य किसानों को अच्छे दाम और लोगों को जहर मुक्त खाद्यान्न उपलब्ध कराना है। गौशालाओं को आत्मनिर्भर कैसे बनाया जाए और किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए कैसे प्रेरित किया जाए? इस संबंध में विभागीय अधिकारियों के साथ विस्तृत बैठक हो चुकी है। सीडीओ को खंगवां की जिम्मेदारी दी गई है। अब मैं और आयोग के सदस्य हर महीने दौरा करेंगे। खंगवां में गौशालाओं का मॉडल ऐसा है कि यह यूपी में प्रेरणा साबित हो सकता है।

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