AI की मदद से पत्नी का आपत्तिजनक वीडियो बनाकर पति ने किया बदनाम, साइबर क्राइम थाने में केस दर्ज
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक का दुरुपयोग कर महिलाओं को बदनाम करने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। ताजा मामला सामने आया है साइबर क्राइम थाना क्षेत्र से, जहां एक महिला ने अपने पति के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया है।
पीड़िता का आरोप है कि उसके पति ने AI तकनीक की मदद से उसका एक आपत्तिजनक वीडियो तैयार किया और फिर उसे उसकी बहन और अन्य रिश्तेदारों को भेजकर बदनाम करने की कोशिश की। यह मामला अब साइबर अपराध से जुड़ी अत्यंत गंभीर घटनाओं की श्रेणी में गिना जा रहा है।
महिला की शिकायत के अनुसार, पति के साथ उसके वैवाहिक संबंध पहले से तनावपूर्ण थे। इस बीच पति ने तकनीकी जानकारी का दुरुपयोग करते हुए उसकी फोटो और वीडियो क्लिप्स का इस्तेमाल कर AI द्वारा फर्जी और अश्लील वीडियो तैयार किया, जो पूरी तरह से डिजिटल रूप से मॉर्फ किया गया था। इसके बाद आरोपी ने वह वीडियो महिला की बहन को भेजा और कुछ अन्य रिश्तेदारों को भी दिखाया।
साइबर क्राइम थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और डिजिटल साक्ष्य एकत्र करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्राथमिक जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि वीडियो में प्रयुक्त चेहरा और आवाज महिला की असली हैं, लेकिन उन्हें डिजिटल रूप से जोड़कर नकली दृश्य तैयार किए गए हैं।
पुलिस ने महिला के मोबाइल फोन, सोशल मीडिया अकाउंट्स और आरोपी के संचार माध्यमों को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा है। साथ ही यह भी पता लगाया जा रहा है कि वीडियो किस AI टूल की मदद से बनाया गया और क्या इसमें किसी बाहरी व्यक्ति की भूमिका भी रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि डीपफेक और AI बेस्ड मॉर्फिंग तकनीक का प्रयोग करके इस तरह की फर्जीवीडियो तैयार करना आजकल बहुत आसान हो गया है, लेकिन यह पूरी तरह अपराध की श्रेणी में आता है और इसके लिए कठोर सजा का प्रावधान है।
साइबर कानून विशेषज्ञों के अनुसार, इस मामले में आरोपी के खिलाफ आईटी एक्ट की धारा 66E, 67 और भारतीय दंड संहिता (IPC) की संबंधित धाराओं के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि जब तकनीक हाथ में हो, तो उसका सही उपयोग जरूरी है, वरना यह किसी की गरिमा, आत्म-सम्मान और निजी जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है।
पुलिस का कहना है कि दोषी को जल्द ही गिरफ्तार कर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। वहीं पीड़िता को काउंसलिंग और कानूनी सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।
यह मामला समाज में AI के गलत इस्तेमाल और साइबर अपराध के बढ़ते खतरे को उजागर करता है और इस बात की चेतावनी भी देता है कि तकनीक का दुरुपयोग किसी के जीवन को बर्बाद कर सकता है।
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