Gyanvapi Masjid-Shringar Gauri case में मुस्लिम पक्ष को लगा झटका, अगली सुनवाई 29 सितंबर को !
पिछली सुनवाई पर दोनों पक्ष की बहस पूरी होने के बाद अदालत ने सुनवाई के लिए 22 सितंबर की तिथि तय की थी। हिंदू पक्ष के वकील विष्?णु शंकर जैन ने कहा कि 1991 का उपासना अधिनियम हमारे पक्ष में है क्योंकि हमारा कहना है कि 15 अगस्त 1947 को इस जगह का धार्मिक स्वरूप एक हिंदू मंदिर का था और मुझे लगता है कि अगर आने वाले समय में ये आवेदन अस्वीकार होती है तो धार्मिक स्वरूप को तय करने की कवायद और आगे बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि यदि फैसला हमारे पक्ष में आता है तो हम एएसआई सर्वे और शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग की गई है। हम कार्बन डेटिंग की मांग कर रहे हैं। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह एक फव्वारा है, हम कहते हैं कि यह शिवलिंग है। एक स्वतंत्र निकाय को इसकी जांच और पता लगाना है। हम कार्बन डेटिंग की मांग के लिए एक आवेदन दाखिल किया है।
श्रंगार गौरी-ज्ञानवापी प्रकरण में वादी महिलाओं के वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने कहा कि मंदिर का अस्तित्व कभी समाप्त नहीं होता। भगवान शंकर ने ज्ञानवापी में हजारों हजार साल पहले पांच कोस का अवमुक्त एरिया बनाया था। उन्होंने कहा कि वह देश में अभियान चला रहे हैं, जितनी भी प्रापर्टी हिंदुओं की ली गई है उसे वापस लेनी है।ज्ञात हो कि पिछली सुनवाई में जिला जज ने इस मुकदमे को सुनवाई योग्य करार दिया था, इसके बाद अंजुमन की ओर से आवेदन भी दिया गया है। ऐसे में इन आवेदनों पर सुनवाई के बाद अदालत की ओर से आदेश दिया जा सकता है। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने 12 सितंबर 2022 को अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की मांग को खारिज करते हुए कहा था कि श्रंगार गौरी केस सुनवाई योग्य है।
साथ ही सुनवाई की तिथि गुरुवार 22 सितंबर को तय की थी। आदेश में उन्होंने कहा था कि उस दिन जितने लोगों ने पक्षकार बनने के लिए ऑर्डर 1 रूल 10 के तहत आवेदन दिया था, उस पर सुनवाई होने के साथ श्रंगार गौरी मामले में वाद बिंदु भी तय किया जाएगा। संबंधित पक्षकार जवाबदेही भी दाखिल करेंगे।
--आईएएनएस
लखनउ न्यूज डेस्क !!!
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