हाई कोर्ट ने 18 नवंबर को दंगा मामले में एमपी/एमएलए कोर्ट द्वारा सैनी को दी गई सजा को निलंबित कर दिया था, उन्हें जमानत दे दी थी और इसी मामले में सजा को निलंबित करने की मांग वाली अर्जी पर सुनवाई के लिए 22 नवंबर की तारीख तय की थी। सैनी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने दलील दी थी कि सैनी को वर्तमान मामले में राजनीतिक प्रतिशोध के कारण फंसाया गया था क्योंकि 2013 में मुजफ्फरनगर दंगे के दौरान प्रतिद्वंद्वी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार सत्ता में थी। इसके अलावा कोई सार्वजनिक गवाह भी उपलब्ध नहीं है। उनके वकील की ओर से यह भी तर्क दिया गया कि दोषसिद्धि के परिणामस्वरूप, सैनी को विधायक के रूप में अयोग्य घोषित किया गया है और उनका विधानसभा क्षेत्र - खतौली - खाली हो गया था। इसके अलावा, जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 के अनुसार, वह अगले छह साल की अवधि के लिए चुनाव नहीं लड़ सकते हैं क्योंकि उसे अदालत ने दोषी ठहराया है। इसलिए, इसे देखते हुए न्याय के हित में उनकी दोषसिद्धि को निलंबित किया जा सकता है।
दूसरी ओर, राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने दोषसिद्धि को निलंबित करने की प्रार्थना का विरोध किया। सैनी की अयोग्यता के बाद, खतौली विधानसभा क्षेत्र के लिए उपचुनाव 5 दिसंबर को होना है। विशेष न्यायाधीश, एमपी/एमएलए कोर्ट, मुजफ्फरनगर ने 11 अक्टूबर को सैनी और 10 अन्य को 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों से संबंधित एक मामले में दो साल की कैद की सजा सुनाई थी। अदालत ने सैनी को धारा 147, 148, 336, 504, 506 और अन्य धाराओं को देखते हुए सजा सुनाई थी। सैनी ने वर्तमान में आपराधिक अपील दायर करके उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी दोषसिद्धि और सजा को चुनौती दी थी।
--आईएएनएस
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