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प्रयागराज में चंद्रशेखर को रोके जाने के बाद बवाल, 51 भीम आर्मी कार्यकर्ता भेजे गए जेल, 100 से ज्यादा उपद्रवियों की पहचान

प्रयागराज में चंद्रशेखर को रोके जाने के बाद बवाल, 51 भीम आर्मी कार्यकर्ता भेजे गए जेल, 100 से ज्यादा उपद्रवियों की पहचान

करछना क्षेत्र में एक पीड़ित परिवार से मिलने के लिए रविवार को प्रयागराज पहुंचे आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर को सर्किट हाउस में रोके जाने के बाद हालात तनावपूर्ण हो गए। उनके समर्थकों और कार्यकर्ताओं ने भारी हंगामा किया और जमकर नारेबाजी के साथ सड़क पर बवाल किया। पुलिस ने सोमवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए उपद्रव में शामिल 51 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।

पुलिस सूत्रों के अनुसार, इस हिंसक प्रदर्शन में शामिल लोगों की पहचान वीडियो फुटेज, फोटोग्राफ और सीसीटीवी के जरिए की गई है। अब तक 100 से अधिक उपद्रवियों की पहचान हो चुकी है और उनकी गिरफ्तारी के लिए 18 पुलिस टीमें बनाई गई हैं। इसके साथ ही स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) को भी इस अभियान में लगाया गया है। पुलिस ने अब तक करछना और आस-पास के 38 से अधिक गांवों में छापेमारी की है।

हंगामे के दौरान सर्किट हाउस के बाहर बड़ी संख्या में भीम आर्मी के कार्यकर्ता एकत्र हो गए थे और उन्होंने बैरिकेडिंग तोड़ने की भी कोशिश की। मौके पर तैनात पुलिस बल ने पहले संयम बरता, लेकिन जब स्थिति बेकाबू होने लगी तो लाठीचार्ज कर भीड़ को तितर-बितर किया गया।

प्रशासन का कहना है कि चंद्रशेखर को संवेदनशीलता के चलते सर्किट हाउस में रोका गया था ताकि किसी प्रकार की अप्रिय घटना न हो। हालांकि, उनके समर्थकों ने इसे लेकर प्रशासन पर पक्षपात का आरोप लगाया और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।

एसएसपी प्रयागराज ने बताया कि उपद्रवियों के खिलाफ सख्त धाराओं में मुकदमे दर्ज किए गए हैं। साथ ही यह भी चेतावनी दी गई है कि कानून-व्यवस्था को चुनौती देने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। सभी आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए लगातार दबिश दी जा रही है।

इस घटना के बाद इलाके में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है और सोशल मीडिया पर भी निगरानी बढ़ा दी गई है ताकि किसी तरह की अफवाह न फैले। प्रशासन पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए है और शांति बहाली के प्रयास तेज़ कर दिए गए हैं।

यह घटना एक बार फिर यह दिखाती है कि राजनीतिक विरोध और सामाजिक मुद्दों के बीच संतुलन बनाए रखना प्रशासन और पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है। वहीं, चंद्रशेखर समर्थकों में रोष बरकरार है और आने वाले दिनों में यह मुद्दा और गरमा सकता है।

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