हर साल बाघों और तेंदुओं के हमलों में मारे जा रहे 50 लोग, मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने में एआई करेगा मदद

प्रदेश में लगातार बढ़ रहे मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए वन्यजीव विभाग बाघों और तेंदुओं को दूसरी जगह बसाने का प्रस्ताव तैयार कर रहा है। इसे जल्द ही मंजूरी के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) को भेजा जाएगा। इसके अलावा लोगों को समय रहते जंगल से बाहर आने वाले बाघों और तेंदुओं के बारे में सचेत करने के लिए मजबूत अलर्ट सिस्टम भी विकसित किया जाएगा।
यूपी में हर साल बाघ और तेंदुओं के हमले में 50 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। जंगल और आबादी के बीच बफर जोन कमोबेश खत्म होने से स्थिति दिन-ब-दिन और भयावह होती जा रही है। बहराइच से लेकर बिजनौर तक यह समस्या बनी हुई है। उच्च स्तर पर निर्णय लिया गया है कि मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए बहराइच, लखीमपुर खीरी, पीलीभीत, शाहजहांपुर और बिजनौर जैसे जिलों में चेन लिंक फेंसिंग और सोलर फेंसिंग की जाएगी। खुटार (शाहजहांपुर) में 10 किलोमीटर सोलर फेंसिंग का प्रस्ताव पहले ही भेजा जा चुका है, क्योंकि यहां हाल ही में बाघ ने दो लोगों की जान ले ली थी।
यूपी में अमनगढ़ (बिजनौर), पीलीभीत, दुधवा और कतर्नियाघाट में बाघ और तेंदुओं की संख्या अधिक है, जबकि सोहागीबरवा (महराजगंज), नजीबाबाद और रानीपुर (चित्रकूट) में कम है, जो जंगलों के लिए उपयुक्त है। वन्यजीव विभाग के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार बाघों और तेंदुओं को अधिक घनत्व वाले क्षेत्रों से कम घनत्व वाले क्षेत्रों में स्थानांतरित करने के लिए प्रस्ताव तैयार किए जा रहे हैं। इसके लिए एनटीसीए से पूर्व अनुमति की आवश्यकता है, इसलिए यह प्रक्रिया पूरी की जा रही है। यूपी के वन प्रमुख सुनील चौधरी का कहना है कि हमने मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के इस्तेमाल का प्रस्ताव भी तैयार किया है। एआई की मदद से यह देखना आसान होगा कि बाघ कहां घूम रहे हैं। अगर वे जंगल से बाहर आ रहे हैं, तो तुरंत पता चल जाएगा। फिर उस क्षेत्र के लोगों को आगाह करना आसान होगा। इसके साथ ही लोगों को इस बारे में जागरूक भी किया जा रहा है कि मानव-वन्यजीव संघर्ष से कैसे बचा जाए।