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गंगा का जलस्तर बढ़ने से 35 घाटों का संपर्क टूटा, गंगा आरती स्थल और शवदाह स्थलों में बदलाव

गंगा का जलस्तर बढ़ने से 35 घाटों का संपर्क टूटा, गंगा आरती स्थल और शवदाह स्थलों में बदलाव

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में गंगा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे जनजीवन प्रभावित होने लगा है। मंगलवार को गंगा का जलस्तर 63.36 मीटर तक पहुंच गया, जिसके कारण शहर के 35 घाटों का संपर्क पूरी तरह से टूट गया है। यह इस वर्ष पहली बार है जब गंगा आरती के स्थल में भी बदलाव करना पड़ा है, जिससे स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं को काफी असुविधा हो रही है।

केंद्रीय जल आयोग की बाढ़ बुलेटिन के अनुसार, गंगा का जलस्तर दो सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है। अगर यह बढ़ोतरी इसी तरह जारी रही, तो आने वाले दिनों में स्थिति और गंभीर हो सकती है।

गंगा किनारे बसे शहरों में घाटों का धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व होता है। लेकिन इस जलस्तर वृद्धि के कारण मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट, जो कि अंतिम संस्कार के प्रमुख स्थल हैं, वहां शवदाह स्थलों को भी बदलना पड़ा है। इन घाटों के निचले हिस्से जलमग्न हो चुके हैं, जिससे दाह संस्कार की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हो रही है।

गंगा आरती स्थल बदला गया
दशाश्वमेध घाट पर प्रतिदिन सायंकाल होने वाली विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती इस बार पहली बार अपने पारंपरिक स्थान से हटाकर उच्च भूमि पर आयोजित की गई। आयोजकों के मुताबिक, जलस्तर में वृद्धि के कारण श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है। हालांकि इससे श्रद्धालुओं में निराशा देखी गई, लेकिन व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह आवश्यक कदम उठाना पड़ा।

प्रभावित हुए स्थानीय निवासी और दुकानदार
घाटों के किनारे रहने वाले स्थानीय लोगों और दुकानदारों की रोजी-रोटी भी इस जलस्तर वृद्धि से प्रभावित हुई है। कई दुकानदारों को अपने सामान समेटकर ऊपरी इलाकों में जाना पड़ा है। वहीं, घाटों पर रोजाना पूजा-पाठ और पर्यटन से जुड़ी गतिविधियां भी ठप हो चुकी हैं।

प्रशासन अलर्ट मोड पर
स्थानीय प्रशासन और नगर निगम की टीमें मौके पर मौजूद हैं और जलस्तर की लगातार निगरानी की जा रही है। अधिकारियों ने निचले इलाकों में रहने वालों को सतर्क रहने और जरूरत पड़ने पर सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट होने की सलाह दी है।

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