बिजली निजीकरण के खिलाफ 27 लाख कर्मियों की एक दिन की सांकेतिक हड़ताल, 2 जुलाई को विरोध प्रदर्शन का ऐलान

नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स (NCEIEE) की राष्ट्रीय कोर कमेटी की सोमवार को दिल्ली में हुई बैठक में उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण को लेकर कड़ा निर्णय लिया गया। कमेटी ने यह घोषणा की कि जैसे ही उत्तर प्रदेश में बिजली वितरण के निजीकरण के लिए टेंडर जारी किए जाएंगे, पूरे देश के 27 लाख बिजली कर्मचारी एक दिन की सांकेतिक हड़ताल करेंगे। इसके साथ ही, कमेटी ने 2 जुलाई को पूरे देश में व्यापक विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है।
निजीकरण के विरोध में संगठनों की एकजुटता
बैठक में शामिल नेताओं का कहना था कि बिजली का निजीकरण न केवल कर्मचारियों के हितों के खिलाफ है, बल्कि जनता के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है। उन्हें आशंका है कि निजीकरण से बिजली दरों में वृद्धि हो सकती है और सार्वजनिक सेवा का स्तर गिर सकता है। इस संदर्भ में, बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण के इस कदम का विरोध करते हुए अपने आंदोलनों को तेज करने का संकल्प लिया है।
2 जुलाई को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन
कमेटी ने यह भी निर्णय लिया कि 2 जुलाई को पूरे देश में एक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया जाएगा, जिसमें सभी राज्य और केंद्र सरकार के कर्मचारियों को अपनी आवाज उठाने का मौका मिलेगा। यह विरोध प्रदर्शन उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के खिलाफ होगा, लेकिन इसकी व्यापकता सम्पूर्ण देश में होगी।
हड़ताल और विरोध के असर
देशभर में 27 लाख बिजली कर्मियों की एकजुटता से यह विरोध आंदोलन काफी प्रभावी होने की संभावना है। बिजली कर्मचारियों की एक दिन की सांकेतिक हड़ताल से बिजली आपूर्ति प्रभावित हो सकती है, लेकिन यह आंदोलन कर्मचारियों द्वारा अपनी बात सरकार तक पहुंचाने का एक तरीका होगा।
सरकार से अपील
बैठक में हिस्सा लेने वाले नेताओं ने सरकार से अपील की कि वह बिजली के निजीकरण के फैसले पर पुनर्विचार करे और कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाए। उनका कहना है कि यदि सरकार ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।