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10 जिलों के डीएम समेत 23 IAS अधिकारियों का तबादला, गोरखपुर, नोएडा, गाजियाबाद को मिले नए जिलाधिकारी

 10 जिलों के डीएम समेत 23 IAS अधिकारियों का तबादला, गोरखपुर, नोएडा, गाजियाबाद को मिले नए जिलाधिकारी

योगी सरकार ने रविवार को बड़ी प्रशासनिक सर्जरी करते हुए 23 आईएएस अधिकारियों का तबादला कर दिया है। इस फेरबदल में गोरखपुर, गाजियाबाद, प्रयागराज, गौतमबुद्ध नगर (नोएडा), कासगंज, कानपुर देहात, बहराइच, मिर्जापुर, गोंडा और ललितपुर जैसे 10 जिलों के जिलाधिकारियों को बदल दिया गया है। यह कदम राज्य प्रशासन को अधिक चुस्त-दुरुस्त बनाने और विकास कार्यों में तेजी लाने के उद्देश्य से उठाया गया है।

इन जिलों को मिले नए डीएम

  • गोरखपुर: आईएएस दीपक मीणा को गोरखपुर का नया जिलाधिकारी नियुक्त किया गया है। वे अब तक किसी अन्य महत्वपूर्ण प्रशासनिक दायित्व में थे और अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह क्षेत्र में विकास कार्यों की कमान संभालेंगे।

  • नोएडा (गौतमबुद्ध नगर): मेघा रूपम को जिले की नई डीएम नियुक्त किया गया है। इससे पहले वे कासगंज की जिलाधिकारी थीं। वे ग्रेटर नोएडा की एसीईओ भी रह चुकी हैं, इसलिए नोएडा की प्रशासनिक चुनौतियों से अच्छी तरह वाकिफ मानी जाती हैं।

  • गाजियाबाद: आईएएस रवींद्र कुमार मंदर को नया जिलाधिकारी बनाया गया है। गाजियाबाद जैसे बड़े औद्योगिक और शहरी जिले में यह एक अहम जिम्मेदारी मानी जा रही है।

  • अयोध्या: वर्तमान मंडलायुक्त गौरव दयाल को गृह विभाग में सचिव बनाया गया है। उनके स्थान पर राजेश कुमार को अयोध्या का मंडलायुक्त नियुक्त किया गया है। राम मंदिर निर्माण के चलते अयोध्या में यह एक रणनीतिक पद है।

  • प्रयागराज, बहराइच, कासगंज, मिर्जापुर, कानपुर देहात, ललितपुर और गोंडा जैसे जिलों में भी नए जिलाधिकारी भेजे गए हैं, जिनके नाम और कार्यक्षेत्रों की विस्तृत सूची शासन की अधिसूचना में जारी की गई है।

महिला आईएएस को अहम जिम्मेदारी

वित्त विभाग में सचिव के पद पर कार्यरत रहीं आईएएस मिनिष्ती एस को गन्ना एवं चीनी उद्योग विभाग का आयुक्त बनाया गया है। यह उत्तर प्रदेश के लिए बेहद अहम विभाग है, क्योंकि राज्य की बड़ी आबादी गन्ना खेती और इससे जुड़ी अर्थव्यवस्था पर निर्भर है।

फेरबदल के पीछे की मंशा

सूत्रों के अनुसार, यह प्रशासनिक फेरबदल विकास परियोजनाओं की गति बढ़ाने, कानून-व्यवस्था में सुधार और 2027 तक के दीर्घकालिक विकास लक्ष्य को ध्यान में रखकर किया गया है। कुछ जिलों में परियोजनाओं में देरी और जनसुनवाई में लापरवाही की शिकायतें सामने आई थीं, जिनके बाद यह कदम उठाया गया।

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