बिहार कृषि विश्वविद्यालय बनाएगा सबौर केवीके को 'एग्रो टूरिज्म सेंटर', खेती को मिलेगा नया मंच

बिहार में कृषि को न केवल आर्थिक समृद्धि से जोड़ा जा रहा है, बल्कि अब इसे पर्यटन के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाने की पहल भी शुरू हो गई है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) ने अपने अधीनस्थ कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), सबौर को राज्य के ‘एग्रो टूरिज्म सेंटर’ के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है। इस दिशा में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दुनिया राम सिंह के नेतृत्व में प्रसार शिक्षा निदेशालय ने तैयारियां शुरू कर दी हैं।
किसानों के साथ आम लोगों को भी जोड़ेगा यह केंद्र
कुलपति प्रो. सिंह ने बताया कि इस पहल का मुख्य उद्देश्य यह है कि आम लोग खेती-किसानी के विभिन्न पहलुओं को करीब से समझें। एग्रो टूरिज्म के जरिए लोग यह जान सकें कि खेती केवल किसान का काम नहीं, बल्कि यह हर नागरिक की जिंदगी से जुड़ा हुआ विषय है। इसके माध्यम से ग्रामीण जीवन, कृषि तकनीकों, जैविक खेती, बागवानी और पशुपालन जैसी गतिविधियों को दर्शाया जाएगा।
क्या है एग्रो टूरिज्म?
एग्रो टूरिज्म यानी कृषि पर्यटन — एक ऐसी अवधारणा है, जिसमें पर्यटकों को खेतों, कृषि प्रयोगशालाओं, फार्म हाउस, और देहाती जीवनशैली से परिचित कराया जाता है। यह पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ किसानों के लिए आय के नए स्रोत भी खोलता है।
शिक्षा और अनुभव दोनों का मिलेगा संगम
प्रसार शिक्षा निदेशालय की योजना है कि इस केंद्र को ऐसे रूप में विकसित किया जाए, जहां छात्रों, शोधकर्ताओं, पर्यटकों और आम नागरिकों को कृषि क्षेत्र में होने वाले नवाचार, आधुनिक तकनीक, परंपरागत खेती और मौसम के अनुरूप कृषि पद्धतियों की जानकारी मिल सके। इसके अलावा केंद्र में डेमो फार्म, फील्ड विजिट, कार्यशालाएं और इंटरएक्टिव सेशंस का आयोजन भी किया जाएगा।
स्थानीय लोगों और किसानों को भी मिलेगा लाभ
यह पहल केवल पर्यटकों तक ही सीमित नहीं रहेगी, बल्कि स्थानीय किसानों को भी इसका सीधा लाभ मिलेगा। उन्हें अपने उत्पादों की ब्रांडिंग, विपणन और तकनीकी जानकारी का प्लेटफॉर्म मिलेगा। साथ ही, पर्यटन गतिविधियों से अतिरिक्त आय का अवसर भी खुलेगा।
कुलपति ने कहा – खेती को समझे समाज
प्रो. दुनिया राम सिंह ने कहा, "खेती सिर्फ खाद्यान्न उत्पादन का साधन नहीं, यह हमारी संस्कृति और अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। जब तक समाज खेती को गहराई से नहीं समझेगा, तब तक समग्र विकास संभव नहीं।"