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जानें कौन हैं देश की पहली ट्रांसवुमन PhD होल्डर जेंसी? जिन्हें दूसरी क्लास से ही समाज ने परेशान किया, वो अब कॉलेज में पढ़ाएंगी

'शिक्षा वह हथियार है, जो हर मुश्किल को चकनाचूर कर देती है!' ये दिल को छू लेने वाले शब्द तमिलनाडु के तिरुत्तनी गांव की रहने वाली डॉ. एन जेन्सी के ने कहे हैं, जिन्होंने देश की पहली ट्रांसवुमन पीएचडी होल्डर बनकर इतिहास रच दिया है। चेन्नई के मशहूर....
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'शिक्षा वह हथियार है, जो हर मुश्किल को चकनाचूर कर देती है!' ये दिल को छू लेने वाले शब्द तमिलनाडु के तिरुत्तनी गांव की रहने वाली डॉ. एन जेन्सी के ने कहे हैं, जिन्होंने देश की पहली ट्रांसवुमन पीएचडी होल्डर बनकर इतिहास रच दिया है। चेन्नई के मशहूर लोयोला कॉलेज में अंग्रेजी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर बनकर जेन्सी ने सबको चौंका दिया। तमाम मुश्किलों को पार करते हुए उन्होंने अपने सपनों को साकार किया और तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने उनकी तारीफ में कसीदे पढ़े।

गांव से प्रोफेसर तक का कमाल

जेन्सी का सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। तिरुत्तनी के एक छोटे से गांव में जन्मी जेन्सी को ट्रांसवुमन होने की वजह से पहले समाज और परिवार का साथ नहीं मिला। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने खुद को पढ़ाई के लिए समर्पित कर दिया और यूजी और एमए में गोल्ड मेडल जीते और फिर पीएचडी पूरी की। आज वह लोयोला कॉलेज में मैनेजमेंट स्टाफ के तौर पर पढ़ा रही हैं। उनकी सफलता पर सीएम स्टालिन ने एक्स पर लिखा, 'डॉ. जेन्सी को बधाई! शिक्षा से सैकड़ों लोगों को सफलता मिलती है। शिक्षा की ताकत हर बाधा को हरा देती है!’

स्टालिन से मिले, दिल की बात कही

जैंसी ने सीएम स्टालिन से मुलाकात की और उनका आभार जताया और उनकी सरकार की सामाजिक न्याय पहल की तारीफ की। उन्होंने कहा कि यह मेरी अकेले की जीत नहीं है, बल्कि मेरे ट्रांस समुदाय की जीत है। मैंने बहुत कुछ सहा, लेकिन पढ़ाई ने मुझे यहां तक ​​पहुंचाया। समाज से अनुरोध है कि ट्रांस लोगों को घर से न निकालें, उन्हें पढ़ने दें। मुझे ही देखो, मेरे परिवार ने पहले मुझे नहीं समझा, लेकिन मैंने गोल्ड मेडल जीता और आज प्रोफेसर हूं। आप प्रकृति को स्वीकार करते हैं, तो हमें क्यों नहीं? विज्ञापन

सरकार से खास मांग

जैंसी ने स्टालिन से खास अनुरोध भी किया। उन्होंने कहा कि मेरे पिता नहीं हैं, लेकिन मैं स्टालिन सर को अपना पिता मानती हूं। मुझे तमिलनाडु के किसी सरकारी कॉलेज में पक्की नौकरी दे दीजिए। इससे मेरे समुदाय के लिए एक मिसाल कायम होगी और उन्हें पढ़ाई करने की हिम्मत मिलेगी। उनकी बात दिल को छू गई। जैंसी की कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो मुश्किलों का सामना कर रहा है। शिक्षा को ताकत बनाकर उन्होंने न सिर्फ अपनी जिंदगी बदली बल्कि ट्रांस समुदाय को भी नई राह दिखाई। अब सवाल यह है कि क्या समाज उनकी जीत को दिल से स्वीकार करेगा।

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