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SIKAR माउंट एवरेस्ट पर चढ़ते समय ताउते और फिर यास तूफान आया, तो लौटना पड़ा था

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जयपुर डेस्क !!! 2011 में सीआईएसएफ में बतौर एएसआई नौकरी लगी थी। गीता ने माउंट एवरेस्ट पर भी जाने की कोशिश की थी, लेकिन ताउते और यास तूफान की वजह से उन्हें लौटना पड़ा। माउंट एल्ब्रस पहाड़ रूस में स्थित है और यह 18 हजार 510 फीट ऊंचा है।5 बहनों में तीसरे नंबर की गीता के पिता किशनाराम सामोता भी एयरफोर्स से रिटायर्ड हैं।  वह खाचरियावास पंचायत में कनिष्ठ सहायक बन गए। गीता की दोनों बड़ी बहनें भी बीएड कर चुकी हैं, नौकरी नहीं लगी। उनकी शादी हो चुकी है। 31 वर्षीय गीता का सपना है कि विश्व के सात सबसे उंचे पहाड़ों की चोटी फतेह करें।  सीकर के गांव में खेती बाड़ी करने वाली गीता सामोता यूरोप के सबसे उंचे पहाड़ एल्ब्रस की चोटी पर पहुंच गई हैं।पहली बार 2019 में हिमालय रेंज के माउंट सत्तोपंत की चोटी पर पहुंची। ये चोटी 23 हजार फीट ऊंची है। इसके बाद गीता ने माउंट एवरेस्ट की चोटी पर फतेह करने की कोशिश की, लेकिन दो बार तूफानों ने रास्ता रोक लिया

टीम नेपाल तक पहुंची कि कोरोना संक्रमण अधिक हो जाने के बाद लौटना पड़ा। 2021 मई में फिर से 30 सदस्यों की टीम में गीता का चयन हुआ। गीता ने पहाड़ी पर चढ़ाई भी शुरू कर दी। बेस कैम्प से ऊपर चार और कैम्प पड़ते हैं। दूसरा कैम्प पार करते ही ताउते तूफान आ गया। कैम्प में रहते हुए दाना पानी खत्म हो गया तो बेस कैम्प पर टीम को लौटना पड़ा। यास इतना खतरनाक था कि वापस आने वाले रास्ते ही उखड़ गए। पैरामिलट्री साथियों की मदद से लौटना पड़ा।

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