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23 मई से वाटर होल पद्धति से होगी राजस्थान में वन्यजीव गणना,क्लिप में देखें पूरा बयान

राजस्थान में वन्यजीव गणना 23 से 24 मई तक होगी। वन विभाग ने कार्यक्रम जारी कर संबंधित जिलों में गणना कराने को लेकर योजना बनाना शुरू कर दिया है। इस बार की गणना वाटर होल पद्धति से होगी..................
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राजस्थान न्यूज़ डेस्क !!! राजस्थान में वन्यजीव गणना 23 से 24 मई तक होगी। वन विभाग ने कार्यक्रम जारी कर संबंधित जिलों में गणना कराने को लेकर योजना बनाना शुरू कर दिया है। इस बार की गणना वाटर होल पद्धति से होगी। प्रदेश में कोरोना और उसके बाद तूफान व बारिश से वन्यजीव गणना नहीं हो पाई। अब जाकर इस साल में वन्यजीव गणना का कार्यक्रम बना है। जारी आदेश के तहत वैशाख पूर्णिमा पर 23 मई को सुबह 8 बजे वन्यजीवों की गणना शुरू होगी जो 24 मई सुबह 8 बजे तक चलेगी। गणना सटीक हो इसके लिए वन्यजीव प्रभाग के प्रधान मुख्य संरक्षक जयपुर से पूरी गाइडलाइन जारी की गई है। प्रदेश में बाघ/बघेरा और अन्य वन्यजीवों की संख्या आंकलन के लिए सभी संरक्षित क्षेत्रों, प्रादेशिक वन मण्डलों एवं महत्वपूर्ण वन्यजीव बाहुल्य क्षेत्रों में वाटर होल संख्या आकलन पद्वति से बैशाख पूर्णिमा पर 24 घंटे तक कराई जाएगी। 

जयपुर से जारी हुई गाइड लाइन

जारी आदेश के अनुसार वन्य प्राणियों की गणना 23 मई को बैसाख पूर्णिमा को प्रातः 8 बजे प्रारंभ होगी जो 24 मई को प्रातः 8 बजे तक जारी रहेगी। गणना सटीक हो इसके लिए प्रधान मुख्य वन्यजीव संरक्षक (पीसीसीएफ) जयपुर की ओर से पूरी गाइडलाइन जारी की गई है।

राज्य में बाघों/बघेरों और अन्य वन्यजीवों की संख्या का अनुमान लगाने के लिए बैसाख पूर्णिमा पर सभी संरक्षित क्षेत्रों, क्षेत्रीय वन मंडलों और महत्वपूर्ण वन्यजीव आवासों में 24 घंटे तक जल छिद्रों की गणना की जाएगी। वन्यजीवों की संख्या के आकलन के लिए बीट को इकाई माना जाएगा। पानी की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए 23 मई 2024 को बीट में उपलब्ध पानी के स्रोतों को सूचीबद्ध किया जाएगा। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक पवन कुमार उपाध्याय के दिशा-निर्देशों के अनुसार ऐसे वाटरहोल्स पर कैमरा ट्रैप लगाए जाएं, जहां बड़ी संख्या में वन्यजीवों के आने की संभावना हो। सभी वन प्रभागों को अपने प्रभागों के माध्यम से वन्यजीव गणना के आंकड़े 4 जून तक सीधे जयपुर मुख्यालय को भेजने होंगे.

यदि वन्यजीवों की प्रजाति को लेकर कोई भ्रम है तो किसी विशेषज्ञ से इसकी पहचान कराएं

गाइडलाइन में कहा गया है कि वन्यजीवों की प्रजाति और लिंग का निर्धारण सही ढंग से किया जाना चाहिए. भ्रम की स्थिति में किसी विशेषज्ञ द्वारा मोबाइल फोन या कैमरे से फोटो खींचकर इसकी पहचान करानी चाहिए। वन्य जीव जनसंख्या मूल्यांकन को सुचारू रूप से पूरा करने के लिए संबंधित क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले जिलों के पर्यवेक्षक होंगे और मुख्य वन संरक्षक (वन्य जीव) अपने अधिकार क्षेत्र में इस कार्रवाई को गहनता से करेंगे।

वन्यजीवों की गणना तीन श्रेणियों में होगी

वन प्राणी गणना में मांसाहारी, शाकाहारी और सरीसृपों की तीन श्रेणियों में गणना की जाएगी। वन्यजीवों में मुख्य रूप से बाघ, बघेरा, सियार, जंगली बिल्ली, मारू बिल्ली, लोमड़ी, मारू लोमड़ी, भेड़िया, भालू, चिंकारा, सांभर, चौसिंघा, सियागोश, जंगली सूअर, सेही, उड़न गिलहरी शामिल हैं।

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