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कौन थी वह सुंदर कन्या जिसकी रक्षा के लिए एक रात में गायब हो गए सैकड़ों लोग ? वीडियो में जाने सदियों पुराना रहस्य 

कौन थी वह सुंदर कन्या जिसकी रक्षा के लिए एक रात में गायब हो गए सैकड़ों लोग ? वीडियो में जाने सदियों पुराना रहस्य 

भारत का हर कोना किसी न किसी रहस्य, कहानी या दंतकथा से जुड़ा हुआ है। लेकिन राजस्थान के थार रेगिस्तान के बीच स्थित कुलधरा गाँव की वीरानी और इसके पीछे छुपी कहानी आज भी अनगिनत सवालों को जन्म देती है। 200 साल से भी ज्यादा वक्त गुजर चुका है, पर कुलधरा की वीरान गलियों में पसरा सन्नाटा और इसके चारों ओर फैला रहस्य आज भी जस का तस बना हुआ है।कहा जाता है कि इस पूरे गाँव के एक रात में अचानक खाली हो जाने के पीछे एक लड़की की कहानी है। आखिर कौन थी वो लड़की? और क्या कारण था कि पूरा गाँव उसे बचाने के लिए अपने घर-बार छोड़कर चला गया? आइए जानते हैं इस रहस्यमयी घटना की पूरी कहानी।


कुलधरा का इतिहास
कुलधरा की स्थापना लगभग 13वीं शताब्दी में पालिवाल ब्राह्मणों द्वारा की गई थी। ये लोग अपने व्यापारिक कौशल और उन्नत कृषि तकनीकों के लिए प्रसिद्ध थे। कुलधरा, अपने समय में एक संपन्न और समृद्ध गाँव था, जहाँ बड़ी-बड़ी हवेलियाँ, कुएं और मंदिर थे।लेकिन 19वीं शताब्दी की शुरुआत में अचानक ऐसा कुछ हुआ कि कुलधरा समेत आसपास के 84 गाँवों के लोग रातोंरात अपने घर छोड़कर हमेशा के लिए गायब हो गए। आज भी इनके खंडहर उस अतीत की गवाही देते हैं।

लड़की और दीवान की कहानी
कुलधरा के रहस्य के केंद्र में है एक सुंदर और गुणी लड़की, जिसका नाम लूणा या कुछ कहानियों में प्रियाल बताया जाता है। वह गाँव के मुखिया की बेटी थी।उस दौर में जैसलमेर का शासक दीवान सालम सिंह था, जो अपनी क्रूरता और अत्याचार के लिए कुख्यात था। दीवान सालम सिंह ने एक दिन लूणा को देखा और उसकी सुंदरता पर मोहित हो गया। उसने जबरदस्ती उस लड़की से विवाह करने की ठान ली।दीवान ने गाँव वालों को धमकी दी कि अगर उन्होंने लड़की का विवाह उससे नहीं करवाया, तो वह पूरे गाँव पर भारी कर थोप देगा और उन्हें जीना दूभर कर देगा।

गाँववालों का सामूहिक निर्णय
दीवान की इस धमकी से गाँव में भय का माहौल छा गया। लेकिन पालिवाल ब्राह्मण स्वाभिमानी थे। उन्होंने अपनी बेटी को जबरदस्ती किसी अत्याचारी के हवाले करने से मना कर दिया।गाँव के बुजुर्गों और प्रमुख लोगों ने एक रात पंचायत बुलाई और एक ऐतिहासिक निर्णय लिया।उन्होंने तय किया कि वे अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए कुलधरा छोड़ देंगे। उसी रात, बिना किसी को बताए, पूरे गाँव के लोग अपने घर, संपत्ति और खेत छोड़कर कहीं अज्ञात दिशा में चले गए।कहते हैं, जाते-जाते उन्होंने इस स्थान को श्राप दिया कि यहाँ कभी कोई बस नहीं सकेगा। और आज तक यह श्राप कायम है — कुलधरा वीरान पड़ा है।

कुलधरा का रहस्य आज भी बना हुआ है जीवंत
आज भी कुलधरा गाँव में कदम रखते ही अजीब-सी वीरानी, रहस्यमयी शांति और एक अनदेखे भय का एहसास होता है। यहाँ घूमने आने वाले पर्यटक कहते हैं कि उन्हें वहां कुछ असामान्य महसूस होता है — जैसे कोई अनदेखी नजरें उन्हें घूर रही हों।रात के समय इस जगह पर जाने की अनुमति नहीं है। स्थानीय लोग कहते हैं कि रात के समय यहां से अजीब-अजीब आवाजें आती हैं और कभी-कभी परछाइयाँ भी दिखाई देती हैं।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण
कुछ इतिहासकार और वैज्ञानिक मानते हैं कि कुलधरा का उजड़ना केवल सामाजिक और आर्थिक कारणों से हुआ होगा — शायद पानी की कमी या व्यापारिक रास्तों के बदलने से लोग गाँव छोड़ने पर मजबूर हुए हों।लेकिन स्थानीय लोककथाएँ और वहां के माहौल की रहस्यमयता इस वैज्ञानिक सोच पर हमेशा भारी पड़ती रही हैं।

आज का कुलधरा
आज कुलधरा एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बन चुका है। राजस्थान सरकार ने इसे एक हेरिटेज साइट घोषित किया है। दिन के समय सैकड़ों पर्यटक इस वीरान गाँव के खंडहरों के बीच इतिहास और रहस्य को महसूस करने आते हैं।विभिन्न डॉक्यूमेंट्री और टीवी शो ने भी कुलधरा को 'भारत के सबसे रहस्यमयी गाँवों' की सूची में शामिल किया है।

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