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कोटा में पुलिस की बर्बरता का वीडियो वायरल, दुकानदार को थप्पड़ मारकर घसीटते ले गए पुलिसकर्मी

कोटा में पुलिस की बर्बरता का वीडियो वायरल, दुकानदार को थप्पड़ मारकर घसीटते ले गए पुलिसकर्मी

राजस्थान के कोटा से पुलिस की बर्बरता का एक शर्मनाक मामला सामने आया है, जिसने कानून व्यवस्था और मानवाधिकारों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां एक थानाधिकारी द्वारा सड़क से सामान नहीं हटाने पर एक दुकानदार को बेरहमी से थप्पड़ मारा गया, जिससे वह युवक बेहोश होकर वहीं गिर पड़ा। घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसे लेकर आम जनता में भारी आक्रोश है।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, यह घटना कोटा शहर के एक व्यस्त बाजार क्षेत्र की है, जहां पुलिस सड़क से अतिक्रमण हटवाने के लिए पहुंची थी। इस दौरान एक दुकानदार ने जब तत्काल सामान हटाने में असमर्थता जताई, तो वहां मौजूद थानाधिकारी अपना आपा खो बैठे और युवक को जोरदार थप्पड़ जड़ दिया। थप्पड़ लगते ही दुकानदार बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ा।

हैरान करने वाली बात यह रही कि घटना के बाद न तो पुलिसकर्मियों ने पीड़ित की मदद की और न ही किसी तरह की मेडिकल सहायता बुलवाई। उल्टा, वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि पुलिसकर्मी युवक को घसीटते हुए सड़क किनारे ले जा रहे हैं, मानो वह कोई सामान हो। यह दृश्य न केवल अमानवीय था, बल्कि पुलिस के व्यवहार पर गहरी चोट भी है।

वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। कई यूजर्स ने इस घटना की तुलना पुलिसिया तानाशाही से करते हुए दोषी थानाधिकारी के खिलाफ तत्काल सख्त कार्रवाई की मांग की है। घटना की संवेदनशीलता को देखते हुए आला अधिकारियों ने मामले का संज्ञान लिया है।

कोटा के पुलिस अधीक्षक ने मीडिया को बताया कि “वीडियो की सत्यता की जांच की जा रही है। अगर थानाधिकारी दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।” साथ ही, यह भी कहा गया है कि पीड़ित दुकानदार को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाई गई है और उसका बयान दर्ज किया जा रहा है।

मानवाधिकार संगठनों और व्यापार मंडल ने इस घटना को अत्यधिक निंदनीय बताया है। उन्होंने पुलिस प्रशासन से मांग की है कि दोषी अधिकारी को तत्काल निलंबित किया जाए और भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए सख्त गाइडलाइन लागू की जाए।

यह घटना न केवल पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कानून के रखवाले अगर खुद कानून तोड़ेंगे, तो आम नागरिकों का विश्वास कैसे कायम रहेगा।

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