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उम्मेद सागर में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान हंगामा, NDTV रिपोर्टर पर हमला

 उम्मेद सागर में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान हंगामा, NDTV रिपोर्टर पर हमला

जोधपुर शहर के उम्मेद सागर क्षेत्र में सोमवार को अतिक्रमण हटाने की एक बड़ी कार्रवाई के दौरान भारी हंगामा और हिंसा की स्थिति बन गई। यह कार्रवाई "वंदे जल संरक्षण योजना" के अंतर्गत की जा रही थी, जिसका उद्देश्य जल स्रोतों के आसपास से अतिक्रमण हटाकर उन्हें संरक्षित करना है। कार्रवाई के दौरान अतिक्रमणकारियों ने विरोध करते हुए न केवल सरकारी टीम पर पथराव किया बल्कि मीडिया कर्मियों को भी नहीं बख्शा।

इस दौरान NDTV के वरिष्ठ रिपोर्टर अरुण हर्ष पर भी हमला किया गया, जिसमें उन्हें गंभीर चोटें आई हैं। बताया जा रहा है कि अरुण हर्ष मौके पर रिपोर्टिंग कर रहे थे, तभी अचानक भीड़ ने उन पर धावा बोल दिया। पुलिस ने घायल रिपोर्टर को तुरंत अस्पताल पहुंचाया, जहां उनका इलाज जारी है।

नगर निगम और पुलिस की संयुक्त टीम जैसे ही उम्मेद सागर इलाके में अतिक्रमण हटाने पहुंची, वैसे ही स्थानीय लोगों और अतिक्रमणकारियों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। कुछ देर में ही यह विरोध उग्र हो गया और हाथापाई व पथराव की नौबत आ गई। मौके पर अफरा-तफरी का माहौल बन गया।

वंदे जल संरक्षण योजना के तहत हो रही कार्रवाई

गौरतलब है कि राजस्थान सरकार की "वंदे जल संरक्षण योजना" का मकसद राज्य के परंपरागत जल स्रोतों को पुनर्जीवित करना और उनके इर्द-गिर्द हुए अतिक्रमण को हटाकर जल संरक्षण को बढ़ावा देना है। इसी योजना के तहत उम्मेद सागर क्षेत्र को चिन्हित किया गया था जहां लंबे समय से जलाशय के आसपास अवैध निर्माण किए जा रहे थे।

नगर निगम अधिकारियों ने बताया कि इस इलाके में कई ऐसे निर्माण थे जो ना केवल गैरकानूनी थे, बल्कि जल स्रोत की दिशा और बहाव को भी बाधित कर रहे थे। इन्हें हटाना बेहद जरूरी था, लेकिन कुछ स्थानीय लोगों ने इसे अपनी संपत्ति से जोड़कर विरोध जताना शुरू कर दिया।

पुलिस ने संभाला मोर्चा, कुछ लोग हिरासत में

घटना की सूचना मिलते ही मौके पर अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया गया, जिन्होंने स्थिति को काबू में किया। पुलिस ने हंगामा और हमले में शामिल कुछ लोगों को हिरासत में लिया है। वहीं, NDTV रिपोर्टर अरुण हर्ष पर हुए हमले को लेकर भी FIR दर्ज की गई है।

जोधपुर पुलिस अधिकारियों ने कहा कि मीडिया कर्मियों पर हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही नगर निगम ने भी स्पष्ट किया है कि "वंदे जल संरक्षण योजना" के तहत अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई बिना किसी दबाव के आगे भी जारी रहेगी।

यह घटना न केवल सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने का मामला है, बल्कि मीडिया की स्वतंत्रता और सुरक्षा पर भी सवाल खड़े करती है। अब देखना होगा कि प्रशासन दोषियों पर क्या कदम उठाता है और ऐसे संवेदनशील अभियानों को भविष्य में किस तरह अधिक सुरक्षित बनाया जाएगा।

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