राजस्थान सरकार का अनोखा कदम! अब मच्छरों की होगी खेती, जाने क्या है डेंगू-मलेरिया को जड़ से खत्म करने की नई योजना ?
मानसून के बाद फैलने वाली डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी मच्छर जनित बीमारियाँ आम लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि सरकार के लिए भी बड़ी सिरदर्द बन जाती हैं। इनके प्रसार को रोकने से लेकर लोगों के इलाज तक पर भारी पैसा खर्च होता है। हर साल यही समस्या फिर से खड़ी हो जाती है।
इसके समाधान के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग जयपुर में एक नया प्रयोग करने जा रहा है। इसमें विभाग की टीमें क्षेत्रवार मच्छरों के लार्वा एकत्रित करेंगी। इसके बाद उन्हें किसी लैब या विशेष शोध स्थल में सुरक्षित रखा जाएगा। ताकि वे मच्छरों के रूप में विकसित हो सकें। फिर उन पर शोध करके पता लगाया जाएगा कि मच्छरों में डेंगू, मलेरिया या किसी अन्य बीमारी का सक्रिय वायरस तो नहीं है।
विभाग उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगा जहाँ बीमारी है
सक्रिय वायरस की पहचान के बाद, विभाग की नियंत्रण गतिविधियों का ध्यान उन क्षेत्रों पर अधिक होगा जहाँ से ये लार्वा एकत्रित किए गए हैं। केवल उन्हीं क्षेत्रों में फॉगिंग की जाएगी। इससे पूरे शहर में फॉगिंग की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी और विभाग की मानव शक्ति का सही दिशा में उपयोग किया जा सकेगा।
1300 से ज़्यादा मामले
इस साल राज्य में डेंगू के 600 से ज़्यादा, मलेरिया के 500 से ज़्यादा और चिकनगुनिया के लगभग 200 मामले सामने आए हैं। पिछले साल डेंगू के 12500 से ज़्यादा और मलेरिया के 2200 से ज़्यादा मामले सामने आए थे और कुल छह लोगों की मौत हुई थी।
दिल्ली या पुणे की लैब में होगी जाँच
निगरानी टीमें इलाक़ों में जाकर मच्छरों को आसानी से नहीं पकड़ पातीं। ऐसे में लार्वा इकट्ठा करके लैब में मच्छरों के रूप में पनपने दिया जाएगा। इसके बाद, इसे जाँच के लिए दिल्ली या पुणे की लैब में भेजा जाएगा। इस नए प्रयोग के लिए जयपुर में एक कीट विज्ञान टीम का गठन किया गया है। यह टीम शहर के अलग-अलग इलाक़ों में जाकर लार्वा इकट्ठा करेगी।

