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उदयपुर प्रशासन का शिक्षकों से जुड़ा अजीब फरमान, विरोध में उतरे शिक्षक संगठन

उदयपुर प्रशासन का शिक्षकों से जुड़ा अजीब फरमान, विरोध में उतरे शिक्षक संगठन

राजस्थान के उदयपुर जिले में जिला प्रशासन ने एक अनोखा आदेश जारी किया है, जिसके तहत शिक्षकों को भेड़ निष्क्रमण (sheep translocation) कार्यक्रम में ड्यूटी पर तैनात किया गया है। यह आदेश जैसे ही जारी हुआ, शिक्षकों के बीच हड़कंप मच गया और शिक्षक संगठनों ने इसके खिलाफ विरोध जताना शुरू कर दिया। उन्होंने इस आदेश को तत्काल निरस्त करने की मांग की है।

इस आदेश को उदयपुर के अतिरिक्त जिला कलेक्टर, वार सिंह ने जारी किया है, जो शिक्षकों के लिए एक बड़े आश्चर्य का कारण बन गया। प्रशासन का यह आदेश कहता है कि जिले के शिक्षकों को भेड़ों को निर्धारित स्थानों से निष्क्रमण करने के लिए तैनात किया जाएगा। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या शिक्षकों का काम सिर्फ शिक्षा तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए?

शिक्षकों की ड्यूटी और प्रशासन के फरमान पर उठे सवाल

शिक्षक संगठन इस फरमान पर सवाल उठाते हुए कहते हैं कि उनके द्वारा दिए गए आदेशों की प्रकृति और जिम्मेदारियां उनके मुख्य कार्य, यानी शिक्षा, से बाहर हैं। उनका कहना है कि शिक्षक न केवल बच्चों की शिक्षा देने के लिए जिम्मेदार होते हैं, बल्कि उन्हें अपनी कार्यक्षमता को ध्यान में रखते हुए उचित काम सौंपा जाना चाहिए।

"शिक्षकों की प्राथमिक जिम्मेदारी छात्रों को शिक्षा देना है, और ऐसे आदेशों से उनकी कार्य क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। हमें उम्मीद थी कि प्रशासन शिक्षा क्षेत्र को प्राथमिकता देगा, लेकिन यह आदेश शिक्षा की अहमियत को नजरअंदाज करता है," एक शिक्षक संघ के प्रतिनिधि ने कहा।

शिक्षक संगठनों का विरोध और भविष्य की रणनीति

शिक्षक संघों ने यह भी आरोप लगाया कि प्रशासन का यह कदम उनकी मेहनत और पेशेवरता के प्रति अनादर है। उन्होंने इस आदेश को तुरंत वापस लेने की मांग की है। कई शिक्षक संगठनों ने विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है, जिसमें वे उदयपुर जिले के विभिन्न स्कूलों के बाहर एकत्र होकर प्रशासन के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराएंगे।

संगठनों का कहना है कि यदि प्रशासन इस आदेश को वापस नहीं लेता है, तो वे आगामी दिनों में और सख्त कदम उठा सकते हैं, जैसे कि हड़ताल या अन्य विरोधी कार्यवाहियां।

भेड़ निष्क्रमण कार्यक्रम का महत्व

इस कार्यक्रम का उद्देश्य भेड़ों के बड़े झुंडों को उनके प्राकृतिक आवास से सुरक्षित स्थानों पर ले जाना है, ताकि वे गांवों और खेतीबाड़ी क्षेत्रों में क्षति न पहुंचा सकें। हालांकि, इसे लेकर प्रशासन के पास संसाधनों की कमी हो सकती है, और शायद इसे पूरा करने के लिए शिक्षकों को तैनात किया गया है।

लेकिन सवाल यह है कि क्या इस काम के लिए शिक्षकों को तैनात करना उचित है, जो उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी से हटकर एक अलग कार्य है। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस विरोध के बाद इस आदेश को लेकर क्या कदम उठाता है और क्या शिक्षक संगठनों की मांगें पूरी होती हैं।

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