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मेडिकल स्टाफ ट्रांसफर पॉलिसी की बैठक में हुआ हंगामा, वीडियो में देखें पूरी खबर

राजस्थान में मेडिकल और पैरा मेडिकल स्टाफ के ट्रांसफर के लिए बनाई जा रही पॉलिसी पर चर्चा के लिए कल शाम स्वास्थ्य निदेशालय में बैठक रखी गई थी। जिसमे एक के बाद एक हंगामा होता रहा.........
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राजस्थान न्यूज़ डेस्क !!! राजस्थान में मेडिकल और पैरा मेडिकल स्टाफ के ट्रांसफर के लिए बनाई जा रही पॉलिसी पर चर्चा के लिए कल शाम स्वास्थ्य निदेशालय में बैठक रखी गई थी। जिसमे एक के बाद एक हंगामा होता रहा। बैठक में नर्सिंग, लैब टेक्नीशियन, पैरा मेडिकल से जुड़े संगठनों के पदाधिकारियों की बात नहीं सुनने और उनको ट्रांसफर पॉलिसी का ड्राफ्ट प्लान उपलब्ध नहीं करवाने के विरोध में कर्मचारियों ने हंगामा कर दिया। और  नारेबाजी करते हुए बैठक से बाहर निकल आए। बैठक में डॉक्टर्स एसोसिएशन की बात सुनने के लिए निदेशक ने दूसरे एसोसिएशन के पदाधिकारियों की बात ही नहीं सुनी। और इससे पूरा विवाद शुरू हो गया ।

दरअसल, स्वास्थ्य निदेशालय के निदेशक डाॅ. आज शाम 4 बजे रवि प्रकाश माथुर की अध्यक्षता में बैठक बुलाई गई. इस बैठक में सेवारत चिकित्सक संघ, रेजिडेंट डॉक्टर संघ, विभिन्न नर्सिंग संघ, रेडियोग्राफर संघ, एएनएम संघ, लैब टेक्नीशियन संघ के पदाधिकारियों को भी बुलाया गया था. बैठक में निदेशक ने डॉक्टर्स एसोसिएशन की बात सुनने के लिए अन्य एसोसिएशन के पदाधिकारियों की एक न सुनी. लैब टेक्निकल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने कहा कि जब सरकार हमारी बात नहीं सुनना चाहती थी तो बैठक क्यों बुलाई? उन्होंने कहा कि आज सभी विभागों में वर्ष 2008 में लागू किया गया स्टाफिंग पैटर्न चल रहा है, जिसका अर्थ है कि जहां भी आवश्यक संख्या में पद स्वीकृत हैं, वहां कर्मचारियों की तैनाती होनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।

आज एसएमएस सहित अन्य बड़े अस्पतालों में पिछले 10-12 वर्षों में मरीजों और जांचों की संख्या 2 गुना से भी ज्यादा बढ़ गई है, लेकिन स्टाफ आज भी उतना ही है। अब अगर इन कर्मचारियों का भी तबादला कर दिया जाए तो कैसे काम चलेगा?

रहने के लिए कोई क्वार्टर नहीं और नियमानुसार कोई भत्ता नहीं

नर्सिंग एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष प्यारे लाल चौधरी ने कहा कि अगर सरकार स्थानांतरण नीति लाना चाहती है तो यह अच्छी बात है. लेकिन सरकार को पहले सुविधाएं देनी चाहिए. आज जयपुर, जोधपुर, कोटा, उदयपुर जैसे बड़े शहरों से नर्सिंग ऑफिसर और अन्य स्टाफ को गांवों में बने अस्पतालों और सीएचसी में स्थानांतरित किया जा रहा है, लेकिन वहां उनके रहने की कोई व्यवस्था नहीं है। वहां न तो क्वार्टर बने हैं और न ही स्टाफ को पर्याप्त भत्ते मिल रहे हैं. हमने सरकार से कुछ मांगें की हैं और सरकार को पहले उन्हें सुनना चाहिए और उन पर अमल करना चाहिए और उसके बाद ही स्थानांतरण नीति लानी चाहिए।'

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