127 साल पुराना इंतजार खत्म! भगवान बुद्ध की पवित्र अस्थियां लौटीं भारत, गजेन्द्र सिंह शेखावत ने बताया कैसे बची नीलामी से ?
केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावार शनिवार को अपने जोधपुर आवास पर पहुँचे। इस दौरान उन्होंने मीडिया को बताया कि 127 साल पहले भारत से बाहर गई भगवान बुद्ध की अस्थियाँ अब वापस आ गई हैं। शेखावत ने बताया कि बुद्ध के परिनिर्वाण के बाद उनकी अस्थियों को 8 भागों में विभाजित किया गया था। इसका एक भाग उनके ही शाक्य वंश को मिला था, जिसे कपिलवस्तु (अब नेपाल सीमा के पास पिपरहवा) में एक पत्थर के बक्से में ज़मीन के नीचे सुरक्षित रखा गया था।
अस्थियों की नीलामी होनी थी
यह बक्सा ब्रिटिश काल में 1898 में खुदाई के दौरान मिला था, लेकिन दुर्भाग्य से उस समय अंग्रेजों ने अस्थियों को भारत को सौंपने के बजाय सियाम (अब थाईलैंड) के राजा और खुदाई करने वाले अंग्रेज़ अधिकारी विलियम प्रेपी को दे दिया था। शेखावत ने बताया कि हाल ही में पता चला कि अमेरिका में रहने वाला जिस परिवार के पास ये अस्थियाँ थीं, वह इन्हें एक बड़े अंतरराष्ट्रीय नीलामी घर के ज़रिए बेचने की तैयारी कर रहा था। तभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर हमने तुरंत कार्रवाई करते हुए नीलामी रुकवा दी। इसके बाद, यह खुशी की बात है कि अब यह ऐतिहासिक धरोहर भारत लौट आई है।
शेखावत ने मालेगांव मामले पर बात की
मालेगांव बम विस्फोट मामले में आए फैसले पर शेखावत ने कहा कि यह स्पष्ट हो गया है कि राजनीतिक लाभ के लिए किस तरह झूठे मामले बनाए गए। उन्होंने कांग्रेस और विपक्ष पर झूठे आरोप लगाने का आरोप लगाया और कहा कि जनता अब सब कुछ समझ चुकी है।
संविधान और आरक्षण को लेकर विपक्ष के आरोपों का जवाब
शेखावत ने कहा कि विपक्ष बार-बार यह डर फैलाता है कि संविधान बदल जाएगा, आरक्षण खत्म हो जाएगा। लेकिन ऐसा कुछ भी सच नहीं है। जब विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं बचता, तो वे झूठ फैलाकर खुद को प्रासंगिक बनाए रखने की कोशिश करते हैं।
मंत्री ने अमेरिका और ब्रिटेन के टैरिफ पर बात की
अमेरिका और ब्रिटेन की नई टैरिफ नीति पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था अब मजबूत है और अगर हम लागत कम करें और गुणवत्ता बढ़ाएँ, तो हम किसी भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में टिक सकते हैं।
ब्रिटेन के साथ व्यापार समझौते से होंगे बड़े लाभ
ब्रिटेन के साथ व्यापार समझौते के बारे में उन्होंने कहा कि इससे भारत के किसानों और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बड़ा लाभ होगा। इससे देश के कृषि उद्योग के लिए एक नया अवसर आया है।

