
राजस्थान में सामाजिक चेतना और संगठनात्मक ऊर्जा के प्रतीक रहे श्रीक्षत्रिय युवक संघ के संरक्षक भगवान सिंह रोलसाहबसर का गुरुवार देर रात निधन हो गया। वे लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे और जयपुर के सवाई मानसिंह (एसएमएस) अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। उन्होंने रात करीब 11:30 बजे अंतिम सांस ली।
भगवान सिंह रोलसाहबसर पिछले कुछ दिनों से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। चिकित्सकीय रिपोर्ट्स के अनुसार उनकी किडनी के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण अंगों ने भी काम करना बंद कर दिया था, जिसके चलते उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। चिकित्सकों की तमाम कोशिशों के बावजूद उनकी स्थिति में सुधार नहीं हो सका और अंततः उनका निधन हो गया।
भगवान सिंह रोलसाहबसर न केवल श्रीक्षत्रिय युवक संघ के संरक्षक थे, बल्कि राजस्थान में राजपूत समाज की आवाज माने जाते थे। समाज में एकजुटता, शिक्षा, संस्कार और संगठन की भावना को मजबूत करने के लिए उन्होंने दशकों तक काम किया। उनके नेतृत्व में संघ ने युवाओं को सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक रूप से जागरूक करने के कई अभियान चलाए। वे परंपरा और आधुनिकता के संतुलन को बनाकर सामाजिक सुधार की दिशा में प्रेरणा स्रोत बने।
उनके निधन की खबर से पूरे राजस्थान सहित देशभर के राजपूत समाज में शोक की लहर दौड़ गई है। विभिन्न सामाजिक संगठनों, नेताओं और श्रद्धालुओं ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी संवेदनाएं प्रकट की हैं। संघ के कार्यकर्ताओं और अनुयायियों में शोक की स्थिति है, और कई लोग जयपुर पहुँचकर अंतिम दर्शन की तैयारी कर रहे हैं।
संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने बताया कि भगवान सिंह जी का अंतिम संस्कार शुक्रवार को उनके पैतृक गांव रोलसाहबसर (जिला चूरू) में किया जाएगा। उनके पार्थिव शरीर को जयपुर से उनके गांव ले जाया जाएगा, जहाँ हजारों की संख्या में श्रद्धालु अंतिम विदाई देंगे।
भगवान सिंह जी की विद्वता, उनका नेतृत्व और समाज के प्रति उनकी समर्पण भावना आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। उनका जाना न केवल एक संगठन के संरक्षक का अंत है, बल्कि यह एक युग के समापन जैसा महसूस हो रहा है।
राज्य सरकार की ओर से भी शोक व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि "भगवान सिंह रोलसाहबसर जैसे व्यक्तित्व विरले होते हैं, जिन्होंने समाज को दिशा दी और युवाओं को जोड़ने का कार्य किया। उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।"
उनके निधन से उपजे इस शून्य को भरना आसान नहीं होगा, लेकिन उनके विचार और कार्य समाज को आगे बढ़ने की प्रेरणा देते रहेंगे।