सीकर संभाग और नीमकाथाना जिला निरस्तीकरण के विरोध में सीकर बंद, अभिभाषक संघ संघर्ष समिति के नेतृत्व में बंद का व्यापक असर

राजस्थान के सीकर जिले में आज जनजीवन पूरी तरह से थमा नजर आया। अभिभाषक संघ संघर्ष समिति के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा सीकर संभाग और प्रस्तावित नीमकाथाना जिले को निरस्त करने के विरोध में सीकर बंद का आह्वान किया गया, जिसका व्यापक असर पूरे शहर में देखने को मिला।
सुबह से ही सीकर शहर की मुख्य बाज़ारें, व्यापारिक प्रतिष्ठान, मेडिकल स्टोर से लेकर शैक्षणिक संस्थान तक बंद रहे। व्यापारियों ने स्वेच्छा से अपनी दुकानें नहीं खोलीं और शहर की सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा।
क्यों है विरोध?
राज्य सरकार ने हाल ही में सीकर को नया संभाग बनाने और नीमकाथाना को जिला घोषित करने की प्रक्रिया को वापस ले लिया है। इस निर्णय के विरोध में अधिवक्ताओं, छात्र संगठनों, व्यापार मंडलों और स्थानीय नागरिकों में भारी रोष है। उनका कहना है कि यह फैसला सीकर और आस-पास के क्षेत्रों के विकास को ठप करने वाला है।
संघर्ष समिति की भूमिका
सीकर अभिभाषक संघ संघर्ष समिति इस आंदोलन की अगुवाई कर रही है। समिति का कहना है कि जब तक सरकार अपने निर्णय को वापस नहीं लेती और सीकर को फिर से संभाग घोषित नहीं करती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। अधिवक्ताओं ने आज न्यायिक कार्य से भी विराम लिया और कलक्ट्रेट तक रैली निकालने की चेतावनी दी है।
प्रशासन की स्थिति
सीकर पुलिस और जिला प्रशासन ने बंद के मद्देनज़र सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए हैं। अब तक कोई अप्रिय घटना सामने नहीं आई है और बंद शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है। प्रशासन लगातार लोगों से अपील कर रहा है कि वे कानून-व्यवस्था बनाए रखें।
जनता की प्रतिक्रिया
स्थानीय नागरिकों और व्यापारियों का भी इस बंद को बड़े पैमाने पर समर्थन मिला है। कई लोगों ने कहा कि सीकर का संभाग बनना वर्षों पुरानी मांग थी और सरकार द्वारा इसे निरस्त करना जनभावनाओं के साथ खिलवाड़ है।
आगे की रणनीति
संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने जल्द ही सकारात्मक निर्णय नहीं लिया, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। इसमें धरना, प्रदर्शन, रास्ता रोको और राजनीतिक प्रतिनिधियों का बहिष्कार जैसी रणनीतियां शामिल की जाएंगी।
इस पूरे घटनाक्रम ने राज्य सरकार को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है कि स्थानीय असंतोष को कैसे शांत किया जाए। फिलहाल, सीकर बंद का असर स्पष्ट रूप से महसूस किया जा रहा है और सभी की निगाहें सरकार की अगली घोषणा पर टिकी हैं।