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पूर्व CM अशोक गहलोत के घर पहुंचे सचिन पायलट, क्या वाकई दूर हो गए गिले शिकवे, राजस्थान की सियासत में फिर चर्चाएं शुरू

कांग्रेस के दिग्गज नेता सचिन पायलट के पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट की आज 25वीं पुण्यतिथि है। इस मौके पर आज राजस्थान कांग्रेस की राजनीति में बड़ी हलचल है। वजह सिर्फ राजेश पायलट की पुण्यतिथि ही नहीं बल्कि इस मौके पर दौसा में...
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कांग्रेस के दिग्गज नेता सचिन पायलट के पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट की आज 25वीं पुण्यतिथि है। इस मौके पर आज राजस्थान कांग्रेस की राजनीति में बड़ी हलचल है। वजह सिर्फ राजेश पायलट की पुण्यतिथि ही नहीं बल्कि इस मौके पर दौसा में आयोजित सर्वधर्म सभा में शामिल होने वाले नेताओं की लिस्ट भी है। इस धर्म सभा में पूरी राजस्थान कांग्रेस शामिल हुई। इनमें सबसे खास है पूर्व सीएम अशोक गहलोत की मौजूदगी। राजेश पायलट की पुण्यतिथि आज प्रेरणा दिवस के तौर पर मनाई जा रही है। सचिन पायलट ने हाल ही में अशोक गहलोत से मुलाकात कर उनसे इसमें शामिल होने का अनुरोध किया था।

उसके बाद पायलट ने गहलोत से मुलाकात की तस्वीर भी अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर शेयर की थी। इसके बाद से ही इस आयोजन को लेकर कांग्रेस में असमंजस का माहौल था। दरअसल, अशोक गहलोत और सचिन पायलट राजस्थान कांग्रेस की राजनीति के दो छोर माने जाते हैं। पहले दोनों के बीच सबकुछ सामान्य था। लेकिन 2018 में दोनों के रिश्तों में तब दूरियां बढ़ गई जब पांच साल बाद कांग्रेस सत्ता में लौटी। कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद सीएम पद के लिए मचे सियासी घमासान में गहलोत ने जीत हासिल की। गहलोत को सीएम की कुर्सी मिली और पायलट को डिप्टी सीएम की कुर्सी मिली। उस समय कांग्रेस को सत्ता में वापस लाने में सचिन पायलट ने अहम भूमिका निभाई थी। उस समय वे पीसीसी चीफ थे। लेकिन फिर भी उन्हें डिप्टी सीएम बनना पड़ा।

गहलोत बनाम पायलट देशभर में चर्चा का विषय बन गया

इस दौरान गहलोत पायलट के बीच तनाव पूरी कांग्रेस ही नहीं बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया। दोनों दिग्गज नेताओं के रिश्तों के बीच की खाई समय के साथ कम होने की बजाय और गहरी होती चली गई। पार्टी में शीर्ष नेतृत्व स्तर पर इस खाई को पाटने के कई प्रयास किए गए। लेकिन वे सफल नहीं हुए। इस घटनाक्रम के बाद राजस्थान में कांग्रेस साफ तौर पर गहलोत गुट और पायलट गुट में बंट गई। कांग्रेस में यह राजनीतिक उथल-पुथल यहीं शांत नहीं हुई। सरकार बनने के बाद पायलट ने प्रदर्शन किया।

रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलने का संकेत

जुलाई 2020 में पायलट ने खुलेआम बगावत कर दी। वे अपने समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली चले गए और गहलोत सरकार लड़खड़ा गई। आखिरकार गहलोत राजनीतिक सुलह और हाईकोर्ट के हस्तक्षेप से सरकार बचाने में सफल रहे। लेकिन पार्टी ने पायलट को उपमुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया। इसके बाद भी दोनों के बीच दूरियां बनी रहीं। नेताओं के बयान आरोप-प्रत्यारोप के जबरदस्त स्तर पर पहुंच गए। इसके बाद हुआ सियासी ड्रामा देशभर की मीडिया की सुर्खियां बन गया। उससे हर कोई वाकिफ है। इसके बाद से दोनों के बीच संवाद भी कम हो गया और राजनीतिक तनाव जारी है।

लेकिन आज गहलोत ने राजेश पायलट की पुण्यतिथि कार्यक्रम में शामिल होकर रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलने का संकेत दिया है। राजस्थान कांग्रेस में नए समीकरण बनने की संभावना बढ़ी इसकी शुरुआत पायलट ने गहलोत को आमंत्रित करके की थी। गहलोत भी आज कार्यक्रम में शामिल हुए और उसी सधे हुए अंदाज में इसका जवाब दिया। पायलट और गहलोत के मिलन की इस शुरुआत पर राजनीतिक विश्लेषकों की नजरें टिकी हैं। इससे अब राजस्थान कांग्रेस में नए समीकरण बनने की संभावना बढ़ गई है। दोनों नेताओं के साथ आने से पार्टी मजबूत होगी और नए नेतृत्व की नींव पड़ेगी। दोनों के बीच राजनीतिक टकराव की दीवार टूटती नजर आ रही है। दोनों नेताओं के बीच यह मुलाकात महज औपचारिकता नहीं बल्कि कांग्रेस के लिए एक नई शुरुआत का संकेत है।

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