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राजस्थान के वित्त विभाग में मिली 500 करोड़ की गड़बड़ी, इस वायरल वीडियों में देखें पूरा बयान

भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक ने जलदाय विभाग के पानी से जमा किए गए रेवेन्यू फंड को लेकर 500 करोड़ रुपए की गड़बड़ी पकड़ी है। विधानसभा की मंजूरी के बिना वित्त विभाग ने 500 करोड़ रुपए का फंड पहले राजस्थान वॉटर सप्लाई एंड सीवरेज कॉरपोरेशन बोर्ड और फिर जल जीवन मिशन को ट्रांसफर कर दिया.............
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राजस्थान न्यूज़ डेस्क !!! भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक ने जलदाय विभाग के पानी से जमा किए गए रेवेन्यू फंड को लेकर 500 करोड़ रुपए की गड़बड़ी पकड़ी है। विधानसभा की मंजूरी के बिना वित्त विभाग ने 500 करोड़ रुपए का फंड पहले राजस्थान वॉटर सप्लाई एंड सीवरेज कॉरपोरेशन बोर्ड और फिर जल जीवन मिशन को ट्रांसफर कर दिया। नियमों के हिसाब से यह पैसा राज्य की संचित निधि में जमा करवाना जरूरी था। कैग ने इसे नियमों का उल्लंघन बताया है। कैग ने सरकार को चिट्ठी लिखकर आपत्ति जताते हुए इस पर जवाब मांगा है।

जलदाय विभाग का 500 करोड़ का फंड पहले राजस्थान वाॅटर सप्लाई एंड सीवरेज कॉरपोरेशन बोर्ड के खाते में ट्रांसफर किया। बोर्ड से यह पैसा राज्य की हिस्सा राशि के तौर पर जल जीवन मिशन के खाते में ट्रांसफर किया गया। कैग ने इस पर पहले भी आपत्ति जताई थी।

सीधा पैसा ट्रांसफर करना संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन

CAG ने लिखा- RWSSC के पीडी खातों की जांच में यह पाया गया कि इनसे सीधे फंड की राशि जल जीवन मिशन में राज्य अंश के लिए SNA Escrow Account में ट्रांसफर किया जा रहा है। इससे केंद्रीय सहायता वाली योजनाओं के लिए राज्य सरकार के हिस्से वाली राशि का पैसा ट्रांसफर करने से वो संचित निधि का भाग नहीं बन पाती। संचित निधि की जगह इस सिस्टम से पैसा ट्रांसफर करने से यह विधानसभा के ध्यान में भी नहीं आता। यह संवैधानिक प्रावधानों का साफ उल्लंघन है। इस तरह राशि दिए जाने से राज्य की संचित निधि में रिकॉर्ड भी नहीं होगी। राज्य सरकार की संपत्ति पर खर्च के तौर पर खातों में नहीं आएगी। इसे लेकर तकनीकी तौर दिक्कतें आएंगी।

कैग ने पूछा- इस तरह की योजनाओं का मालिकाना हक किसका रहेगा

कैग ने राज्य सरकार से इस पर भी सफाई मांगी है कि इस तरह की जल प्रदाय योजनाओं का मालिकाना हक किसका रहेगा। ये किसके अधीन रहेंगी।

पानी से मिले पैसे को संचित निधि में ही जमा करवाने की हिदायत

कैग ने सरकार को लिखी चिट्ठी में जलदाय विभाग और दूसरी एजेंसियों को पानी से मिलने वाले पैसे को राज्य की संचित निधि में जमा करवाने की हिदायत दी है। केंद्रीय सहायता से चल रही योजनाओं में राज्य की हिस्सा राशि को बजट प्रावधानों के हिसाब से संचित निधि में ​डालने की भी हिदायत दी है।

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