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अजमेर दरगाह क्षेत्र के निवासियों को राहत, हाईकोर्ट ने वन विभाग के अतिक्रमण नोटिस पर लगाई रोक

अजमेर दरगाह क्षेत्र के निवासियों को राहत, हाईकोर्ट ने वन विभाग के अतिक्रमण नोटिस पर लगाई रोक

राजस्थान हाईकोर्ट ने अजमेर की ऐतिहासिक दरगाह और तारागढ़ की पहाड़ियों के पास स्थित वार्ड संख्या 46 के निवासियों को बड़ी राहत दी है। वन विभाग द्वारा जारी अतिक्रमण हटाने के नोटिस पर न्यायालय ने स्टे (रोक) लगा दी है। कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने के स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा है कि जब तक इस मामले में अंतिम निर्णय नहीं आ जाता, तब तक किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जाए।

अब्दुल सत्तार की याचिका पर सुनवाई

यह फैसला वार्ड 46 के निवासी अब्दुल सत्तार की याचिका पर आया है, जिसे उनके अधिवक्ता सैयद सादत अली ने दायर किया था।
याचिका में कहा गया कि वन विभाग द्वारा अतिक्रमण हटाने के नाम पर निवासियों को बिना सुनवाई का मौका दिए नोटिस भेजे जा रहे हैं, जबकि वे लोग लंबे समय से उसी स्थान पर रह रहे हैं और उनकी रोजी-रोटी भी वहीं स्थित दुकानों पर निर्भर है।

हाईकोर्ट के आदेश

मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अनिल कुमार उपमन की एकल पीठ ने वन विभाग, नगर निगम अजमेर और जिला प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि—

  • मौजूदा स्थिति को यथावत बनाए रखा जाए।

  • अब्दुल सत्तार के निवास और दुकान के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जाए।

  • यदि भविष्य में कोई आदेश पारित किया जाता है, तो प्रार्थी को कम से कम 1 महीने का समय दिया जाए, जिससे वह अपना पक्ष नोटिस के माध्यम से रख सके।

क्या है मामला?

अजमेर दरगाह और तारागढ़ पहाड़ियों से सटे कई इलाकों में लंबे समय से लोग रह रहे हैं। लेकिन हाल ही में वन विभाग ने इन क्षेत्रों को वन भूमि घोषित करते हुए अतिक्रमण हटाने का नोटिस जारी किया था।
निवासियों का कहना है कि वे वर्षों से वहां रह रहे हैं, उनके पास राशन कार्ड, वोटर आईडी, बिजली कनेक्शन जैसे दस्तावेज हैं, फिर भी उन्हें जबरन हटाया जा रहा है।

स्थानीय लोगों में खुशी

हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद इलाके के लोगों में राहत की लहर है। लोगों ने फैसले को न्याय की जीत बताया और कहा कि बिना सुनवाई और पुनर्वास योजना के कोई भी कार्रवाई न्यायोचित नहीं हो सकती।

आगे की कार्रवाई

अब इस मामले में अंतिम सुनवाई तक यथास्थिति बनी रहेगी। यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि कोई भी कार्रवाई नियम और कानून के तहत ही की जाएगी।
वन विभाग को भी निर्देशित किया गया है कि किसी भी कार्रवाई से पहले पर्याप्त समय और कानूनी प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य होगा।

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