भील प्रदेश की मांग पर राजकुमार रोत का पलटवार – "राजेंद्र राठौड़ जैसे अनुभवी नेता से ऐसी उम्मीद नहीं थी"
भील प्रदेश की अलग राज्य की मांग को लेकर राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। इस बार टोंक-सवाईमाधोपुर से सांसद और जनजातीय समुदाय के नेता राजकुमार रोत ने भाजपा के वरिष्ठ नेता राजेंद्र राठौड़ पर तीखा पलटवार किया है। राठौड़ के हालिया बयान, जिसमें उन्होंने भील प्रदेश की मांग को लेकर असहमति जताई थी, पर प्रतिक्रिया देते हुए रोत ने कहा कि वह एक वरिष्ठ और संसदीय प्रक्रियाओं के ज्ञाता नेता से इस तरह की असंवेदनशील टिप्पणी की उम्मीद नहीं कर रहे थे।
राजकुमार रोत ने अपने बयान में कहा,
"आप राजस्थान विधानसभा के सात बार सदस्य और नेता प्रतिपक्ष रहे हैं। आप संसदीय कार्यप्रणाली के ज्ञाता हैं, जिसे मैंने 15वीं विधानसभा के दौरान निकट से देखा है। सदन में आप हमेशा नियमों और प्रक्रियाओं की किताब लेकर खड़े होते थे और विधायी प्रक्रियाओं का सटीक हवाला देते थे। ऐसे विद्वान और अनुभवी राजनेता से मुझे भील प्रदेश जैसे संवेदनशील विषय पर इतनी असंवेदनशील टिप्पणी की कतई अपेक्षा नहीं थी।"
रोत ने यह भी कहा कि भील प्रदेश की मांग कोई नया मुद्दा नहीं है, बल्कि यह दशकों से आदिवासी समाज की आकांक्षाओं से जुड़ा सवाल है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह मांग संविधान की भावना, जनसंख्या की सांस्कृतिक पहचान और प्रशासनिक सुगमता के आधार पर की जा रही है, न कि किसी राजनीतिक स्वार्थ से।
राजकुमार रोत ने जोर देकर कहा कि वह जनजातीय समुदाय की आवाज़ को लोकतांत्रिक तरीके से संसद और जनता के बीच उठाते रहेंगे। उन्होंने राठौड़ जैसे नेताओं से अपेक्षा जताई कि वे इस मुद्दे को राजनीति से ऊपर उठकर देखें और आदिवासी समाज की वास्तविक चिंताओं को समझें।
गौरतलब है कि राजेंद्र राठौड़ ने कुछ दिन पहले मीडिया में दिए बयान में भील प्रदेश की मांग को "राज्य को बांटने की राजनीति" करार दिया था। इस बयान से आदिवासी नेताओं और संगठनों में असंतोष व्याप्त है।
इस पूरे घटनाक्रम ने राज्य की राजनीति में नई बहस को जन्म दे दिया है, खासकर आगामी चुनावी रणनीतियों और आदिवासी वोट बैंक की दिशा को लेकर।

